न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर (Justice Abdul Nazeer) को सर्वोच्च न्यायालय से (From Supreme Court) सेवानिवृत्त होने के एक महीने बाद (A Month After Retiring) आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) का राज्यपाल (Governor) नियुक्त किया गया (Appointed) । अयोध्या मामले में फैसला सुनाने और राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने वाली पीठ में वे अकेले अल्पसंख्यक न्यायाधीश थे। जस्टिस एस अब्दुल नजीर सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच में से एक थे, जिन्होंने अंतिम फैसला दिया था। वह जनवरी में सेवानिवृत्त हुए।
5 जनवरी, 1958 को कर्नाटक दक्षिण कन्नड़ जिले के बेलुवई में जन्मे जस्टिस नजीर ने एसडीएम लॉ कॉलेज, मंगलुरु से एलएलबी की डिग्री पूरी करने के बाद 18 फरवरी, 1983 को एक वकील के रूप में वकालत शुरू की। उन्होंने कर्नाटक उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस किया और 12 मई, 2003 को इसके अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए। वह 24 सितंबर, 2004 को स्थायी न्यायाधीश बने और 17 फरवरी, 2017 को सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत हुए।
न्यायमूर्ति नजीर ने उस संविधान पीठ का नेतृत्व किया, जिसने 2016 की नोटबंदी प्रक्रिया को बरकरार रखा था। उन्होंने यह भी कहा था कि मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और नेताओं के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगाने की कोई आवश्यकता नहीं है। जस्टिस नजीर कई ऐतिहासिक संविधान पीठ के फैसलों का हिस्सा थे। इसमें ट्रिपल तालक, निजता का अधिकार, अयोध्या मामला और हाल ही में नोटबंदी पर केंद्र के 2016 के फैसले और सांसदों की अभिव्यक्ति की आजादी शामिल है। इससे पहले, न्यायमूर्ति नजीर ने कहा कि भारतीय न्यायपालिका की स्थिति, आज उतनी गंभीर नहीं है, जितनी पहले हुआ करती थी। हालांकि गलत सूचना के कारण गलत धारणा व्यक्त की जाती है।