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सचिन पायलट के राजनीति करियर को खत्म करने की हुई तैयारी, अशोक गहलोत ने बनाया ये मास्टर प्लान

राजस्थान की सियासत में इन दिनों हंगामा मचा हुआ है। यहां पर पल-पल एक नई घटना घट रही है। जहां पहले कांग्रेस को सचिन पायलट ने संकट में डाल दिया था तो वहीं अब राजस्थान में फोन टैपिंग मामला खड़ा हो गया है। जिसमें कांग्रेस ने बीजेपी पर साजिश रचकर सरकार गिराने का आरोप लगाया है। जिसके चलते अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक विधायकों का खेमा एक्टिव हो गया है तो वहीं, जयपुर में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने भी जमावड़ा लगा लिया है। जहां पर अब सब मिलकर सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों को करारा जवाब देकर कांग्रेस को संकट से बाहर निकालने की रणनीति बना रहे है।

सचिन पायलट के खिलाफ कदम
सूत्रों के मुताबिक, संकट के बीच कांग्रेस के सभी नेता अब सचिन पायलट को करारा जवाब देने की प्लानिंग में लगे है। जिसके चलते अब कांग्रेस की नजर सचिन पायलट के विधायकों पर है। कांग्रेस के नेता अब सचिन पायलट खेमे के विधायकों के अगले कदम का इंतजार कर रहे है ताकि कांग्रेस जान सके कि विधायकों के मन में क्या है और इसी के मुताबिक, वह अपना अगला कदम चलेंगे। इतना ही नहीं, कांग्रेस अपने बागी विधायकों और सचिन पायलट को सबक सिखाने के लिए संवैधानिक कार्रवाई की भी तैयारी में जुटी है। इसी वजह से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार अचानक ही राज्य के राज्यपाल कलमाज मिश्र से मुलाकात की। जिसके बाद से सचिन पायलट खेमे की भी नींद उड़ गई है।

आंकड़ों का खेल
सूत्रों के मुताबिक, इस मुलाकात के दौरान सीएम अशोक गहलोत ने राज्यपाल को भारतीय ट्रायबल पार्टी (BTP) के दो विधायकों का समर्थन पत्र दिया। इन दोनों विधायकों ने कांग्रेस से अपना समर्थन वापस ले लिया था लेकिन इस संकट के बीच अब ये दोनों विधायक कांग्रेस में फिर से आ गए है। जिसके बाद अब राजस्थान में एक बार फिर आंकड़ों का खेल शुरू हो गया है। राजस्थान में अशोक गहलोत बुधवार के दिन विधासनभा का सत्र बुला सकते है। माना जा रहा है कि इस दौरान वह फ्लोर टेस्ट कर सकते है। जो सचिन पायलट के लिए बहुत बड़ा झटका साबित होगा। सीएम अशोक गहलोत का दावा है कि उन्हें 103 विधायकों का समर्थन हासिल है। जिसमें कांग्रेस के 88, बीटीपी के 02, सीपीएम 02, आरएलडी के 1 और 10 निर्दलीय विधायक शामिल हैं। अगर ऐसा सच में हो गया। तो सचिन पायलट संकट में पड़ जाएंगे।

बहुमत साबित करने की वजह
राजस्थान में सियासी संकट के बीच सीएम अशोक गहलोत बहुमत साबित करने के काफी जल्दी कर रहे है। जिसके चलते कई अहम वजह से है।

गहलोत अपने विधायको पर अपनी मजबूत पकड़ दिखाना चाहते है।

उन विधायकों को भी अपने खेमे में लाना चाहते है। जिसका अब तक साफ नहीं है कि वह सचिन पायलट के खेमे में है या फिर अशोक गहलोत के खेमे में है।

विधानसभा सत्र के बाद अशोक गहलोत 18 विधायकों पर फैसला सुनाने के लिए हाईकोर्ट पर भी दबाव बना सकते है। बता दें कि पायलट और कांग्रेस के 18 अन्य विधायकों को अयोग्य घोषित किए जाने को लेकर विधानसभा अध्यक्ष की ओर से नोटिस जारी किया गया है। इसी नोटिस के खिलाफ पायलट गुट हाई कोर्ट पहुंचे हैं।

 

गौरतलब है कि इन सभी घटनाक्रम के बीच अभी भी सचिन पायलट के साथी विधायक इस बात का दावा कर रहे है कि उनके पास 30 विधायकों का समर्थन है और इस आंकड़े से अशोक गहलोत की सरकार आसानी से गिर सकती है लेकिन दोनों गुटों के बीच इस खींचतान में देखना ये है कि आने वाले दिनों में राजस्थान में क्या होता है।