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संयुक्त राष्ट्र महासचिव बनने की दौड़ में हैं आकांक्षा, बदलाव के लिए शुरू किया कैंपेन

वॉशिंगटन। काम करने का जज्बा और नजरिया व्यक्ति को हमेशा प्रेरित करता है। हरियाणा की रहने वालीं 34 वर्षीय अरोड़ा आकांक्षा इसी प्रेरणा से संयुक्त राष्ट्र महासचिव बनने की तैयारी में हैं। आकांक्षा संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम में ऑडिट कॉर्डिनेटर के तौर पर काम करती हैं। उन्होंने संयुक्त संयुक्त राष्ट्र महासचिव बनने के लिए अपनी उम्मीदवारी का ऐलान किया है। एंटोनियो गुटारेस के मुकाबले उतरने वाली आकांक्षा अकेली उम्मीदवार होंगी। अरोड़ा आकांक्षा की उम्मीदवारी का भारत ने आधिकारिक तौर पर समर्थन नहीं किया है। उन्होंने खुद ही ट्विटर पर कैंपेन शुरू कर दिया है। आकांक्षा का कहना है कि एंटोनियो गुटारेस यूएन महासचिव के तौर पर असफल रहे हैं। हरियाणा में जन्मीं आकांक्षा जब 6 साल की थीं तो परिवार के साथ सऊदी अरब चली गयीं। उन्होंने कनाडा के टोरंटो की योर्क यूनिवर्सिटी से एडमिनिस्ट्रेटिव स्टडीज में स्नातक किया है। कोलंबिया यूनिवर्सिटी से स्नातकोत्तर की उपाधि हासिल की है। आकांक्षा के पास ओवरसीज सिटिजनशिप ऑफ इंडिया का दर्जा है और कनाडा का पासपोर्ट भी है।

आकांक्षा ने भारत सरकार से अपने समर्थन की मांग नहीं की है। अरोड़ा आकांक्षा अपने कैंपेन में स्वयं वित को देख रही हैं। उनका कहना है कि संयुक्त राष्ट्र संघ अपने चार्टर में जो कहता है वैसी स्थिति नहीं है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में अपने काम के दौरान यह अनुभव किया है कि यहां बदलाव के लिए वैसा माहौल नहीं है। उनका मानना है कि जैसा कहा जा रहा है वैसी स्थिति नहीं है।

उन्होंने बताया कि सुधार के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। अपनी कम उम्र और कम अनुभव को लेकर अरोड़ा आकांक्षा ने कहा कि मेरी उम्र कम होना ही उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि यह समझने की जरूरत है कि देश की आधी आबादी की उम्र तीस साल से कम है। यदि आप नतीजों में बदलाव देखना चाहते हैं तो आपको काम भी बदले हुए तरीके से करना होगा।