उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद से ही चाचा शिवपाल यादव और अपने भतीजे अखिलेश यादव से नाराजगी जगजाहिर हैं. ऐसे में शिवपाल यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करने से लेकर रामभक्त बनने और समान नागरिक संहिता लागू करने की बात कर आरएसएस के एजेंडे पर को आगे बढ़ाते नजर आए हैं. शिवपाल के अगले कदम पर सस्पेंस बना हुआ है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्या वजह है कि शिवपाल की अभी तक बीजेपी में एंट्री नहीं हो पाई?
यूपी चुनाव से पहले शिवपाल यादव अखिलेश यादव के साथ सारे मनमुटाव खत्म कर साथ चुनाव लड़े थे. समाजवादी पार्टी के टिकट पर शिवपाल यादव ने जसवंतनगर सीट से जीत दर्ज किया, लेकिन अखिलेश ने उन्हें सपा का विधायक मानने के बजाय सहयोगी दल के तौर पर ट्रीट किया. इसके चलते शिवपाल यादव ने बागी रुख अपना रखा है, जिसके बाद उनके बीजेपी में शामिल होने की चर्चा चल रही है.
तय नहीं है शिवपाल की एंट्री की तारीख
शिवपाल यादव के बीजेपी में एंट्री को लेकर कभी कोई तारीख बताई जाती है तो कभी कोई तारीख बताई जाती है, लेकिन फाइनल कोई तारीख तय नहीं हो पा रही है. एकतरफ बीजेपी शिवपाल को लेकर बहुत ज्यादा जल्दबाजी के मूड में नहीं दिख रही है तो शिवपाल अभी भी कन्फ्यूज दिख रहे हैं. बीजेपी में जाने की अटकलों के बीच शिवपाल ने दो दिन में दो ऐसे संकेत दिए हैं, जिससे उनका रुख बदलता नजर आ रहा है.
फिलहाल शिवपाल यादव के बीजेपी में एंट्री के बाद भी ज्यादा अच्छे दिन आने वाले नहीं है. इस बात को खुद अब शिवपाल सिंह यादव के समर्थक कहने मे जुट गए है. योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी दूसरी बार प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाने में सफल रही है और एमएलसी चुनाव में 36 में से 33 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया है. ऐसे में बीजेपी की नजर अब आजमगढ़ संसदीय सीट पर है.
सूत्रों की माने तो बीजेपी शिवपाल यादव को साथ लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव को तगड़ा झटका देना चाहती है, लेकिन उससे पहले उन्हें बीजेपी की अग्निपरीक्षा से भी होकर गुजरना है. शिवपाल का लिटमस टेस्ट बीजेपी आजमगढ़ संसदीय सीट के उपचुनाव में करना चाहती है, जहां से 2019 में अखिलेश यादव ने चुनाव जीता था और विधायक बनने के बाद इस्तीफा दे दिया.
बीजेपी आजमगढ़ सीट पर हर हाल में जीत का परचम फहराना चाहती है, जिसके लिए शिवपाल यादव एक अहम भूमिका अदा कर सकते हैं. इसीलिए बीजेपी उन्हें पार्टी में शामिल कराने और उसके बदले कुछ देने से पहले उनका सियासी परीक्षण कर लेना चाहती है. वहीं, शिवपाल यादव भी बीजेपी में जाने से पहले अपनी सियासी भूमिका तय कर लेना चाहते हैं. इसीलिए शिवपाल यादव चुप्पी साध रखे हैं. शिवपाल की ओर से ना तो इस को इनकार किया जा रहा है और ना ही भाजपा मे शामिल होने की तस्दीक ही की जा रही है.
कभी बीजेपी की तारीफ, तो कभी आलोचना
शिवपाल यादव ने जसवंतनगर में एक कार्यक्रम में सपा के शासन की तारीफ की तो भाजपा पर सवाल खड़े किए. टैबलेट वितरण कार्यक्रम में शिवपाल ने कहा कि सपा सरकार में बिजली की समस्या नहीं रहती थी, लेकिन आज बिजली कब आती और कब जाती कुछ पता नहीं रहता., अखिलेश से मतभेदों के बीच शिवपाल का यह बयान अहम माना जा रहा है. शिवपाल सिंह यादव ने सरकार की लैपटॉप वितरण योजना को सराहा पर बीजेपी पर कटाक्ष भी किया.
लखीमपुर खीरी में किसानों को जीप से कुचलने के आरोपी और केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने के फैसले के कुछ देर बाद शिवपाल यादव ने ट्वीट करते सुप्रीम कोर्ट की निष्पक्षता की तारीफ की. उन्होंने बिना किसी फैसले का जिक्र करते हुए कहा, ”इसलिए सर्वोच्च न्यायालय सर्वोच्च है. सर्वोच्च न्यायालय की असंदिग्ध स्वतंत्रता, निष्पक्षता और स्वायत्तता को नमन. भारत की न्याय व्यवस्था उम्मीद की एक किरण है. वहीं, जौहर यूनिवर्सिटी से जुड़े केस में आजम खान को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने की भी बात कही गई है.
शिवपाल यादव का ट्वीट आजम खान से जुड़े मामले पर है या फिर आशीष मिश्रा की जमानत रद्द किए जाने पर. हालांकि, दोनों ही फैसलों से भाजपा सरकार को झटका लगा है. ऐसे में शिवपाल पूरी तरह से सस्पेंस बनाए हुए हैं. वहीं, शिवपाल के समर्थक भी दबी जुबान से अब इस बात बोलने मे जुट गए है, जिससे तस्वीर साफ होती दिख नहीं रही है. ऐसे में बीजेपी में कब जाएंगे इस सवाल को लगातार टाल रहे हैं. इस पर वह इतना ही कहते हैं कि अभी उचित समय नहीं है. उचित समय पर बताएंगे. अब देखना है कि शिवपाल के बीजेपी में शामिल होने का उचित समय कब आता है?