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शिल्पा शेट्टी की निजता रखना होगा बरकरार : मुम्बई उच्च न्यायालय

मशहूर अभिनेत्री के पक्ष में मुम्बई उच्च न्यायालय ने अहम फैसला सुनाया है। राज कुंद्रा पोर्नोग्राफी केस में मानहानि का मुकदमा दायर करने वाली शिल्पा शेट्टी की याचिका पर शुक्रवार को बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान शिल्पा ने आंसू बहाए जबकि उनके वकील ने कहा कि पत्रकारों की ओर से उनका पक्ष नहीं पूछा जाता है यह दुर्भाग्यपूर्ण है, इस दौरान शिल्पा ने आंसू बहाए। शिल्पा शेट्टी के वकील ने कोर्ट से कहा कि कुछ चीजें पत्रकार के आचरण का हिस्सा होती हैं, मैं पत्रकारों के मानक पर टिप्पणी नहीं कर सकता, ये पत्रकार मानकों का पालन नहीं करते। अदालत ने यह माना कि शिल्पा की निजता के अधिकार को बनाए रखना होगा। इस पूरे मामले शिल्पा के बच्चे और उनके परवरिश के सम्बंध में बातचीत नहीं की जा सकती, इन सबके किसी भी हिस्से को मीडिया पर गेज ऑर्डर नहीं माना जाना चाहिए।

कोर्ट ऐसा कोई आदेश पारित नहीं कर रहा है, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं लगाया जाना चाहिए कि अंतरिम या एड अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया गया है। उच्च न्यायालय ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति एक पब्लिक फ़िगर है, तो यह नहीं माना जाना चाहिए कि उस व्यक्ति का निजता के अधिकार नहीं है। इस मामले में अगली तारीख 20 सितंबर को दी गयी है। उधर, एक प्राइवेट यू ट्यूब चैनल के मालिक और एक डिफेन्डर ने अदालत को बताया कि उसने उक्त वीडियो को हटा दिया है और इसे फिर से नहीं डालेगा। ऑर्डर देते हुए कोर्ट ने कहा राज कुंद्रा के खिलाफ मामला इस अदालत के लिए चिंता का विषय नहीं है, एक ऑनलाइन पत्रकार के लेख का जिक्र करते हुए कहा कि डिफेंडेंट पहले ही कह चुका है कि उसने इस वीडियो को हटा दिया है और उसे दोबारा नहीं अपलोड करेगा।

 

उच्च न्यायालय ने डिफेंडेंट का जिक्र करते हुए कहा जो की एक यू-ट्यूब चैनल है, शिल्पा शेट्टी की नैतिक स्थिति पर बयान डिफेंडेंट द्वारा दिया गया है, मुझे बताया गया है कि इस वीडियो को हटा लिया गया है, इसे फिर से नहीं लगाया जाना चाहिए। इसके साथ ही कोर्ट ने एक बॉलीवुड पोर्टल का जिक्र करते हुए कहा कि इसका सीधा संबंध राज कुंद्रा के खिलाफ चल रही जांच से है, रिपोर्ट में कहा गया है कि शिल्पा पर सबूत मिटाने का शक है। यह आर्टिकल प्रथम दृष्टया प्रतीत होती है और जांच एजेंसी की अंडरस्टैंडिंग से ली गई है। रिपोर्टिंग शिल्पा की बेगुनाही या गिल्ट पर नहीं है, यह पुलिस के अवलोकन पर आधारित है, जिन डिफेंडेंट को अपने लेख हटाने के लिए कहा गया है, उन्हें छोड़कर बाक़ियों को जवाब देना होगा।