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विजय घाट पर सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने लाल बहादुर शास्त्री को दी श्रद्धांजलि

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने विजय घाट पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

लालबहादुर शास्त्री : राजनीति का वर्तमान दौर जिसमें किसी भी चुनाव में कार तो पात्रता बन जाती है। यदि नहीं है तो पार्षद तक का चुनाव जीतते ही द्वार पर लक्जरी कार खड़ी हो जाती है। इससे इतर लाल बहादुर शास्त्री जब देश के प्रधानमंत्री बने तब उनके पास अपनी कोई कार नहीं थी। उनके पास इतना पैसा भी न था कि कार खरीद सकें। बच्चों के आग्रह पर उन्होंने हिम्मत जरूर की और बैंक से लोन लेकर एक कार खरीदी। उस कार का ऋण भी चुकता नहीं कर पाए थे कि उनका तााशकंद में देहांत हो गया।

तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने उनका ऋण माफ करने की सिफारिश की, लेकिन उनकी पत्नी ने इसे स्वीकारने से इन्‍कार कर दिया। इस घटना के चार साल बाद तक उनके कार के ऋण की अदायगी बिना सरकारी मदद के की गई थी। यह कार आज भी दिल्ली के लाल बहादुर शास्त्री स्मारक में रखी है। भारत के इस सपूत का जन्म दो अक्टूबर सन् 1904 को चंदौली जिले के मुगलसराय में हुआ था। उनको घर में सबसे छोटे होने के नाते प्यार से ‘नन्हे’ बुलाया जाता था। बचपन में ही पिता का साया सिर से उठ जाने की वजह से उन्होंने मीरजापुर में अपने नाना के यहां प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की। धनाभाव में पढ़ने के लिए नदी तैर कर बनारस आते थे। काशी विद्यापीठ से संस्कृत की पढ़ाई के बाद उन्हें ‘शास्त्री’ की उपाधि मिली। बेहद कम उम्र में ही वे गांधी जी के असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए। आजादी के बाद दिल्ली गए और केंद्रीय मंत्रिमंडल के कई विभागों में जिम्मेदारी निभाई। रेल मंत्री, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, गृह मंत्री समेत कई मंत्री पद संभाले। उन्होंने 11 जनवरी, 1966 को ताशकंद में अंतिम सांस ली थी।