लोकसभा चुनाव (Lok Sabha electionz) के नतीज (results) आ चुके हैं, जिसके बाद एक बार फिर से केंद्र में एनडीए (NDA) की सरकार बनने जा रही है. लेकिन इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (BSP) को एक भी सीट नहीं मिली है. चुनाव नतीजों के बाद बीएसपी सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने सोशल मीडिया पर पत्र के जरिए अपनी प्रतिक्रिया दी है. इसमें उन्होंने खास तौर पर मुस्लिम समाज को लेकर नाराजगी जताई है.
बीएसपी सुप्रीमो ने कहा कि बहुजन समाज पार्टी का खास अंग मुस्लिम समाज, जो पिछले कई चुनावों में और इस बार भी उचित प्रतिनिधित्व देने के बावजूद भी बीएसपी को ठीक से नहीं समझ पा रहा है. अब ऐसी स्थिति में आगे इनको काफी सोच समझ कर ही चुनाव में पार्टी द्वारा मौका दिया जाएगा, जिससे आगे पार्टी को भविष्य में इस बार की तरह भयंकर नुकसान ना हो.
चुनाव आयोग से शिकायत
मायावती ने कहा कि हमारी पार्टी चुनाव आयोग से शुरू से ही यह मांग करती रही है कि चुनाव बहुत लंबा नहीं खिंचना चाहिए, बल्कि आम लोगों के हितों के साथ-साथ, चुनाव ड्यूटी में लगने वाले लाखों सरकारी कर्मचारियों तथा सुरक्षाकर्मियों आदि के व्यापक हित व सुरक्षा आदि को ध्यान में रखते हुए यह चुनाव अधिक से अधिक तीन या चार चरणों में ही कराया जाना चाहिए था.
मायावती ने कहा कि चुनाव लगभग पूरे समय खासकर जोरदार गर्मी की तपिश से जनजीवन के अस्त-व्यस्त होने के कारण काफी ज्यादा प्रभावित रहा है और वोट प्रतिशत भी काफी प्रभावित हुआ है. जो चिन्ता का प्रमुख कारण बना रहा और यह लगातार मीडिया की सुर्खियों में भी रहा.
‘चौकाने वाले रिजल्ट की थी उम्मीद…’
मायावती ने कहा, ‘ऐसे में यह उम्मीद की जाती है कि लोकतंत्र और आमजन के व्यापक हित के मद्देनजर, आगे चुनाव कराते समय चुनाव आयोग द्वारा लोगों की इन खास परेशानियों को जरूर ध्यान में रखा जाएगा. इसके अलावा, चुनाव के दौरान देश भर में लगभग पूरे समय मंहगाई, गरीबी और बेरोजगारी से त्रस्त लोगों में यह आम चर्चा रही कि अगर चुनाव फ्री एण्ड फेयर हुआ और ईवीएम (EVM) में कोई गड़बड़ी आदि नहीं हुई तो फिर चुनाव परिणाम निश्चय ही, खासकर रूलिंग पार्टी के नेताओं के दावों के मुताबिक नहीं होकर, चौंकाने वाला जरूर होगा.
बीएसी सुप्रीमो ने आगे कहा कि लोकसभा चुनाव का जो भी नतीजा आया है, वह लोगों के सामने है और उन्हें ही, अब देश के लोकतंत्र, संविधान और देशहित के बारे में सोचना और फैसला करना है कि यह जो चुनाव परिणाम आया है, उसका आगे उन सबके जीवन पर क्या फर्क (असर) पड़ने वाला है और उनका अपना भविष्य कितना शान्त, व सुरक्षित रह पाएगा?
‘BSP एक राजनीतिक पार्टी के साथ-साथ…’
मायावती ने उत्तर प्रदेश पर बात करते हुए कहा, ‘चुनाव में खासकर यूपी की तरफ पूरे देश की निगाहें टिकी हुई थीं. हमारी पार्टी नतीजों को गंभीरता से लेकर इसका हर स्तर पर गहराई से सही विश्लेषण करेगी और पार्टी व मूवमेन्ट के हित में जो भी जरूरी होगा कदम भी उठाएगी क्योंकि बीएसपी एक राजनीतिक पार्टी के साथ-साथ लोगों के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान का एक मूवमेन्ट भी है. इसीलिए हमारी प्रतिक्रिया भी विशुद्ध रूप से देश के लोकतंत्र और परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के संविधान की पवित्रता व मजबूती को समर्पित होगी, जिससे देश के करोड़ों गरीबों, शोषितों, दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों एवं मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के हित व कल्याण तथा उनकी सुरक्षा एवं सम्मान आदि पर मंडराता खतरा दूर हो.
मायावती ने आगे कहा कि मेरा यही कहना है कि परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के बताए रास्तों पर चलकर पूरी लगन, निष्ठा और ईमानदारी के साथ मेहनत से कार्य करना ही अपना मिशनरी धर्म है. हमारी इसी सोच और शक्ति ने सदियों से शोषित व उपेक्षितों को आत्म-सम्मान एवं स्वाभिमान के साथ जीने के लिए संघर्ष करते रहना सिखाया है और सरकार बनने पर ‘सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक तरक्की’ के तहत् उनके जीवन को काफी हद तक बदला भी है.
मायावती ने अपने पत्र के आखिरी में कहा, ‘ इस चुनाव में बीएसपी का अकेले ही, पार्टी से जुडे लोगों के बलबूते पर बेहत्तर रिजल्ट के लिए हर मुमकिन प्रयास हुआ किया गया है, जिसमें खासकर दलित वर्ग में से मेरी खुद की जाति के लोगों ने वोट देकर जो अपनी अहम् मिशनरी भूमिका निभाई है, मैं पूरे तेहदिल से आभार प्रकट करती हूं.
कितनी सीटों पर चुनाव लड़ी थी मायावती की पार्टी?
इस बार के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने देश भर में 424 सीटों पर अपने कैंडिडेट्स उतारे थे. इसमें से उत्तर प्रदेश की 79 सीटें भी शामिल थीं. यूपी में पिछले लोकसभा चुनाव में एसपी और आरएलडी के साथ गठबंधन में बीएसपी ने 10 सीटें जीती थीं लेकिन इस बार के चुनाव पार्टी को एक भी सीट नहीं मिल सकी.
दिल्ली की सातों सीटों पर तीसरे स्थान पर रही बीएसपी
बीएसपी के उम्मीदवार भले ही कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर सके हों, और कोई भी उम्मीदवार 13 हजार का आंकड़ा भले ही न छू सका हो, परंतु खास बात है कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की वजह से बीएसपी दिल्ली की सभी सातों सीटों पर तीसरे स्थान पर रही है.
बीएसपी को सबसे ज्यादा वोट उत्तर-पूर्वी दिल्ली सीट पर हासिल हुए हैं. इस सीट से बीएसपी के अशोक कुमार ने 12053 वोट हासिल किए हैं. वहीं नॉर्थ वेस्ट सीट से बीएसपी के विजय कुमार बौद्ध ने कुल 11997 वोट हासिल किए हैं. दक्षिणी दिल्ली सीट से बीएसपपी के अब्दुल बासित ने कुल 9861 वोट हासिल किए हैं.
चांदनी चौक सीट से बीएसपी ने अब्दुल कलाम आजाद को मैदान में उतारा था, परंतु वह केवल 5829 वोट ही हासिल कर सके. पूर्वी दिल्ली सीट से बीएसपी उम्मीदवार वकार चौधरी 9197 और पश्चिमी दिल्ली से उम्मीदवार विशाखा 7964 वोट ही हासिल कर पाये हैं.