उत्तरी कश्मीर के बारामूला (Baramulla) जिले के मालवाह इलाके में गुरुवार को हुई मुठभेड़ में मारे गए चार आतंकवादियों में लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba) का शीर्ष कमांडर युसूफ कांतरू (Yusuf Kantroo) भी शामिल था जो कश्मीर में सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाला आतंकवादी था। कांतरू ने दो दशक पहले आतंक की राह पकड़ी थी। इस दौरान उसने दो बार बंदूक छोड़ दी थी। लेकिन 2017 के बाद से वह और ज्यादा खूंखार हो गया और उसके सुरक्षाबलों की नाक में दम कर रखा था।
कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) विजय कुमार ने कहा कि लश्कर-ए-तैयबा का शीर्ष कमांडर युसूफ कांतरू बारामूला मुठभेड़ में मारा गया। वह नागरिकों और सुरक्षा कर्मियों की हत्या की कई घटनाओं में शामिल था। आईजीपी कुमार ने आगे कहा कि कांतरू हाल ही में बडगाम जिले में एक विशेष पुलिस अधिकारी और उसके भाई, एक सैनिक और एक नागरिक की हत्या में भी शामिल था। लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर का मारा जाना एक बड़ी सफलता है।
मोस्ट वांटेड आतंकवादी था युसुफ कांतरू
मध्य कश्मीर के बडगाम जिले का रहने वाला 51 वर्षीय मोहम्मद युसूफ डार उर्फ युसुफ कांतरू को एक साथी के साथ मालवाह गांव में मुठभेड़ में मार गिराया गया। बडगाम पुलिस को आतंकवादियों की मौजूदगी के बारे में विशेष जानकारी मिलने के बाद गुरुवार तड़के मुठभेड़ शुरू हो गई। इस बीच गांव में उसकी हत्या की खबर फैलने के बाद, कांतरू के पैतृक गांव चेक कावूसा में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़पें शुरू हो गई हैं।
टॉप मोस्ट आंतकियों की लिस्ट में था कांतरू
कांतरू एक ‘ए++’ श्रेणी (सबसे खतरनाक) आतंकवादी था और शीर्ष दस मोस्ट वांटेड आतंकवादियों की लिस्ट में शामिल था। उसके ऊपर 12 लाख रुपए का इनाम भी घोषित था और वह लश्कर कमांडर सलीम पर्रे के बाद सूची में दूसरे स्थान पर था। संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट का संस्थापक अब्बास शेख जिसे पुलिस लश्कर-ए-तैयबा की शाखा मानती है, शीर्ष आतंकियों की सूची में तीसरे स्थान पर था।
दो बार कर चुका था आत्मसमर्पण किया
पारे और अब्बास दोनों को पिछले साल सुरक्षा बलों ने मार गिराया था। कांतरू उन पांच बचे लोगों में शामिल था जिनका नाम सबसे खूंखार आतंकियों की सूची में था। अधिकारियों ने कहा कि उनमें से चार अभी भी सक्रिय हैं। अधिकारियों के अनुसार वह पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा का संचालन प्रमुख था और माना जाता है कि वह 2,000 में हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हुआ था। उसने 2012 और 2015 में दो मौकों पर आत्मसमर्पण किया था।
हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के एक साल बाद 2017 में कांतरू फिर से आतंकवाद में शामिल हो गया। 7 मार्च को सेना का एक जवान समीर अहमद मल्ला लापता होने पर कांतरू सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर आ गया था। कुछ दिनों बाद बडगाम के एक बाग में मल्ला का क्षत-विक्षत शव मिला था। 21 मार्च को कांतरू को एक नागरिक, तजामुल मोहि-उ-दीन राथर की हत्या के लिए भी जिम्मेदार ठहराया गया था जिसे बडगाम में उसके आवास के पास संदिग्ध आतंकवादियों ने मार गिराया था।