देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) में रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के एक संघ ने NEET-PG 2021 की काउंसलिंग में देरी पर अपना आंदोलन तेज करते हुए शनिवार को कहा कि अगर उनकी मांगें जल्द से जल्द पूरी नहीं हुईं तो उसके सदस्यों को सेवाओं से ‘सामूहिक इस्तीफा’ देने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. वहीं, दिल्ली के कई रेजिडेंट डॉक्टरों ने भी शनिवार को यहां अपना विरोध दर्ज कराते हुए ‘दिया’ जलाया, जबकि शहर में विभिन्न अस्पतालों में मरीजों की देखभाल प्रभावित रही. गौरतलब है कि फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) पिछले कई दिनों से प्रदर्शन की अगुवाई कर रहा है.
दरअसल, फोर्डा ने शनिवार को जारी एक बयान में कहा कि भविष्य के आंदोलन पर चर्चा करने के लिए विभिन्न राज्यों के रेजिडेंट डॉक्टर संघों के प्रतिनिधियों के साथ शाम को फोर्डा ने एक डिजिटल बैठक बुलाई थी. उन्होंने बताया कि चूंकि संबंधित मामले में अधिकारियों द्वारा अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, इसलिए सर्वसम्मति से आंदोलन जारी रखने का फैसला लिया गया. वहीं, बैठक के दौरान यह भी चर्चा हुई कि अगर मांग जल्द से जल्द पूरी नहीं की जाती है तो देश भर में प्रदर्शन कर रहे रेजिडेंट डॉक्टर सेवाओं से सामूहिक इस्तीफे पर आगे बढ़ने के लिए मजबूर हो जाएंगे.
राजधानी के अस्पतालों में 5 हजार डॉक्टर हड़ताल पर बैठे
गौरतलब हैं कि RDA के मुताबिक, दिल्ली के सरकारी अस्पतालों के कम से कम 3 से 5 हजार रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर बैठे हुए हैं. उन्होंने ओपीडी और आपातकालीन सेवाओं सहित सभी स्वास्थ्य सेवाओं से अपना नाम वापस ले लिया है. जहां सफदरजंग अस्पताल RDA के अनुसार, उनकी एसोसिएशन में लगभग 1800 रेजिडेंट डॉक्टर हैं और उनमें से ज्यादातर चल रही हड़ताल में शामिल हो गए हैं. आरएमएल अस्पताल में, लगभग 1000 रेजिडेंट डॉक्टर RDA का हिस्सा हैं और वे भी आंदोलन में शामिल हैं.
NEET PG 2021 काउंसलिंग बनी देरी की वजह
बता दें कि नीट पीजी काउंसलिंग (NEET-PG Counselling) में देरी होने के विरोध में दिल्ली के अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों (Resident doctors) की हड़ताल जारी है. ऐसे में “FORDA के प्रतिनिधियों और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच आखिरी बैठक 20 दिसंबर को हुई थी. उन्होंने उन मुद्दों को हल करने के लिए 1 हफ्ते का समय मांगा था. जोकि NEET PG 2021 काउंसलिंग और प्रवेश प्रक्रिया में देरी का कारण बन रहे हैं. फिलहाल स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक लिखित आश्वासन देने से इनकार कर दिया, जिसने डॉक्टर अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल के दूसरे चरण को जारी रखने के लिए मजबूर किया. इसके चलते मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, हड़ताल के चलते कई अस्पतालों में न तो इमरजेंसी चल रही है और न ही ओपीडी में डॉक्टर देख रहे हैं.