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रूस-यूक्रेन युद्ध से पंजाब के किसानों को हो सकता है बड़ा मुनाफा, जानिए इसकी वजह

रूस और यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध (Russia-Ukraine War) के चलते इस बार पंजाब के किसानों को बड़ा मुनाफा हो सकता है. अनुमान है कि इस युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर गेहूं की कमी (Wheat Shortage) हो सकती है. इसलिए निजी व्यापारी किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से ऊंची कीमतों पर गेहूं खरीद सकते हैं.

राज्य की विभिन्न मंडियों के कमीशन एजेंट्स का कहना है कि गेहूं के पुराने स्टॉक का बाजार मूल्य 2,250 रुपये से 2,300 रुपये प्रति क्विंटल के बीच है. जबकि इस साल गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2,015 रुपये प्रति क्विंटल है. रूस और यूक्रेन (Russia-Ukraine) दोनों गेहूं के बड़े उत्पादक (Wheat Producer) हैं. इस वक्त दोनों युद्ध में उलझे हैं. इस कारण वहां से गेहूं की आपूर्ति बाधित होना तय है. ऐसे में कीमतें एमएसपी (MSP) से बहुत ज्यादा बढ़ जाएंगी.

इसलिए प्रत्येक किसान खुले बाजार में उच्च दरों पर बेचे जाने वाले स्टॉक को रोक कर रख सकते हैं. वे इस बार अपना सारा गेहूं सरकारी एजेंसियों को नहीं बेचेंगे. क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि इस बार 2,500 से 3,000 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक गेहूं के दाम मिल सकते हैं. ‘दि ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट में एक प्रमुख कमीशन एजेंट विजय कालरा ने कहा, ‘अभी केवल आटा मिल मालिक ही मंडियों से गेहूं खरीद रहे हैं. एक बार जब अगले सप्ताह गेहूं की आवक शुरू हो जाती है, तो हम उम्मीद करते हैं कि कई विदेशी खिलाड़ी आएंगे और गेहूं खरीदना शुरू करेंगे.’

करीब 130 लाख मीट्रिक टन गेहूं की आवक की तैयारी लेकिन…
उधर, भारतीय खाद्य निगम (FCI) के अधिकारियों ने कहा है कि सरकार ने वैसे तो 130 लाख मीट्रिक टन गेहूं की बाजार में आवक की तैयारी की है. उतने के भंडारण आदि का इंतजाम किया गया है. लेकिन अनुमान है कि शुक्रवार से शुरू हो रहे खरीद सीजन में एफसीआई और अन्य सरकारी एजेंसियों को सिर्फ 122 लाख मीट्रिक टन गेहूं ही मिल पाएगा. क्योंकि किसान अपना पूरा गेहूं शायद मंडियों तक नहीं लाएंगे.