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राष्ट्रपति चुनाव : भाजपा को यूपी-उत्तराखंड में सीटे घटने से दूसरे दलों पर बढ़ी निर्भरता, जानें पूरा गणित

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) और उत्तराखंड (Uttarakhand) में भाजपा (BJP) की सीटें घटने से इस साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव (President Election) में एनडीए की अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए अन्य दलों पर निर्भरता थोड़ी बढ़ गई है। राष्ट्रपति के लिए निर्वाचक मंडल में एनडीए के दलों के पास इस समय 48.8 फीसद वोट हैं और उसे 1.2 फीसद वोट की और जरूरत है। हालांकि, यह कोई बड़ा अंतर नहीं है। इसे वह वाईएसआरसीपी और बीजद जैसे क्षेत्रीय दलों का समर्थन हासिल कर आसानी से पूरा कर सकता है।

पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों से पहले लोकसभा, राज्यसभा और विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं के आधार के राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल में एनडीए बहुमत के आंकड़े से मात्र 0.05 फीसद दूर था, लेकिन अब पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद यह अंतर 1.2 फीसद हो गया है। 1093347 वोटों के राष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचक मंडल में एनडीए को अभी लगभग 13000 वोटों की कमी दिख रही है। राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए की ताकत में यह कमी उत्तर प्रदेश में 48 विधायकों और उत्तराखंड में 9 विधायकों की कमी होने से आई है।

साल 2017 में क्या थी स्थिति
साल 2017 में जब राष्ट्रपति चुनाव हुआ था, तब उत्तर प्रदेश में एनडीए के पास 323 विधायक थे और उत्तराखंड में उसके 56 विधायक थे, लेकिन अब उत्तर प्रदेश में एनडीए खेमे में 273 विधायक हैं, वहीं उत्तराखंड में भाजपा के विधायक घटकर 45 रह गए हैं। हालांकि, दोनों राज्यों में भाजपा बहुमत के साथ फिर से सरकार बनाने जा रही है। मणिपुर में भी एनडीए खेमे में विधायक 36 से घटकर 32 आ गए हैं। हालांकि, एनडीए की सरकार बनने तक कुछ और दलों का समर्थन हासिल कर भाजपा इसे बढ़ा सकती है। क्योंकि, यह संख्या (32) भाजपा के अपने विधायकों की है। राष्ट्रपति चुनाव में उसे एनपीपी, नागा पीपल्स फ्रंट और जनता दल के विधायकों का भी समर्थन मिल सकता है। यह दल एनडीए के साथ जुड़े हुए हैं, लेकिन उन्होंने चुनाव भाजपा के खिलाफ लड़ा था।

गोवा में अभी भाजपा के 20 विधायक
वा में भी पिछले चुनाव के समय भाजपा के खेमे के पास 28 विधायक थे, जबकि अभी भाजपा के 20 विधायक चुनकर आए हैं, लेकिन भाजपा सरकार बनाने के साथ कुछ और विधायकों को अपने साथ लाती है तो यहां भी एनडीए का आंकड़ा बढ़ सकता है।

राष्ट्रपति चुनाव के लिए यूपी के विधायक ज्यादा मूल्यवान
गौरतलब है कि लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों की राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट वैल्यू 708 की है, जबकि उत्तर प्रदेश विधानसभा के एक विधायक का वोट देश में सबसे ज्यादा 208 है। इन पांच राज्यों में उत्तराखंड में एक विधायक की वोट की वैल्यू 64, गोवा में 20, मणिपुर में 18 और पंजाब में 118 है। वोट वैल्यू का आधार 1971 की जनगणना पर है। राष्ट्रपति का चुनाव इस साल जुलाई में होना है।

राष्ट्रपति पद पर निर्विरोध निर्वाचन की कोशिश
हालांकि, एनडीए को भरोसा है कि वह विपक्षी खेमे के बहुत सारे दलों का समर्थन हासिल कर आसानी से राष्ट्रपति चुनाव जीत सकता है। उसकी पहली कोशिश तो राष्ट्रपति पद पर निर्विरोध निर्वाचन की होगी। इसके लिए वह विपक्षी दलों से बात भी करेगा। लेकिन, राजनीति में सत्ता पक्ष व विपक्ष में मौजूदा टकराव को देखते हुए निर्विरोध निर्वाचन की संभावना कम है। विपक्ष अपना उम्मीदवार खड़ा कर भाजपा और एनडीए को चुनौती दे सकता है।