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राजस्थान के इस मंदिर में भगवान को किया गया क्वारंटाइन, इन चीजों से चल रहा है इलाज

किसी इंसान में कोरोना संक्रमण के संकेत दिखने के बाद चिकित्सक उस व्यक्ति को जरूरी दवाई देकर होम क्वारंटाइन होने के निर्देश और सलाह देते हैं, मगर कोटा में तो भगवान ही ‘बीमार’ है और पिछले वर्ष मार्च में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद यहां भगवान दूसरी बार ‘क्वारंटाइन’ हो गए हैं।

यह मामला है राजस्थान में कोटा के रामपुरा इलाके में स्थित भगवान जगदीश के मंदिर का जहां भगवान जगदीश विराजमान हैं। पिछले वर्ष जब पूरे देश में वैश्विक महामारी कोरोना लहर फैली थी तो इस मंदिर में विराजमान भगवान जगदीश के मंदिर के कपाट बंद करके उन्हें क्वारंटाइन में कर दिया गया था।

इस बारे में मंदिर के पुजारियों ने बताया कि यह परंपरा पिछले वर्ष कोरोना बीमारी की वजह से शुरू नहीं हुई है बल्कि यह करीब ढाई दशक पुरानी है। यहां मान्यता यह कि गर्मी के मौसम में भगवान ‘बीमार’ हो जाते हैं और इसीलिए एक पखवाड़े तक उनके मंदिर का कपाट बंद कर दिया जाता है।

इस दौरान पवित्र तुलसी, काली मिर्च और लौंग से उनको भोग लगाकर उपचार किया जाता है और इसके बाद अगले एक पखवाड़े में मंदिर के कपाट खोल कर भगवान जगदीश की धूमधाम से शोभायात्रा निकाली जाती है।

पिछले वर्ष प्रशासनिक प्रतिबंधों के कारण प्रतीकात्मक रूप से यह शोभायात्रा निकाली गई थी। इस वर्ष निकलने वाली शोभायात्रा के बारे में राज्य सरकार की गाइडलाइन के अनुसार अभी निर्णय होना बाकी है। यह खास बात है कि जेठ माह की पूर्णिमा के बाद जब रामपुरा के जगदीश मंदिर के भगवान ‘बीमार’ होते हैं तो उसके पहले मंदिर के पुजारी भगवान जगदीश की मूर्ति का 108 मटकों के जल से अभिषेक करवाया जाता है और 200 किलो आम के रस का भोग चढ़ाकर दही, दूध, शहद आदि से स्नान कराना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है।

भगवान एक पखवाड़े बाद स्वस्थ होंगे जिसके बाद श्रद्धालुओं को 10 जुलाई को दर्शन देंगे। इसी दिन कपाट खुलेंगे। भगवान जगदीश के मंदिर के कपाट बंद होने के दौरान भक्तों को प्रवेश की इजाजत नहीं होगी और न ही सुबह-शाम भालर बजेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि ‘आखिर भगवान’ बीमार और क्वारंटाइन जो हैं।’