भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) अध्यक्ष व भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह (BJP MP Brij Bhushan Sharan Singh) पर महिला पहलवानों (female wrestlers) के यौन शोषण के आरोपों की जांच के लिए कमेटी गठित की गई है। भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने बृजभूषण पर चोटी के पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न (sexual harrasment) के आरोपों की जांच के लिए शुक्रवार को सात सदस्यीय समिति गठित की। इस कमेटी में एमसी मैरीकॉम और योगेश्वर दत्त जैसे खिलाड़ी भी शामिल हैं। हालांकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तरफ से अभी तक उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया है।
भाजपा ने मुझसे कोई स्पष्टीकरण नहीं मांगा: बृजभूषण शरण सिंह
बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) ने शुक्रवार को द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि भाजपा ने उनसे इस मामले पर कोई स्पष्टीकरण नहीं मांगा है और न ही उन्होंने इस पर पार्टी में किसी से संपर्क किया है। आरोपों पर उन्होंने कहा, “यह एक ऐसा आरोप है जिसका मुझे खुद सामना करना पड़ रहा है। मेरी पार्टी को इसमें आने की जरूरत नहीं है।” रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि अपने लंबे समय से सांसद के खिलाफ तेज विरोध को लेकर भाजपा के भीतर कुछ चिंता है। इस बात को लेकर भी चिंता है कि कहीं इस विवाद का असर अन्य खिलाड़ियों के मनोबल पर न पड़े।
22 जुलाई को होगा किस्मत का फैसला?
लेकिन कहा जा रहा है कि इन तमाम चिंताओं के बावजूद भाजपा फिलहाल के लिए यूपी के कैसरगंज से सांसद बृजभूषण के खिलाफ एक्शन नहीं लेगी। रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद से अभी बृजभूषण सिंह का इस्तीफा नहीं लेगी, क्योंकि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप “पुख्ता नहीं” हैं। 10 साल से कुश्ती महासंघ का नेतृत्व करने वाले छह बार के भाजपा सांसद ने कहा कि उन्होंने 22 जनवरी को अयोध्या में महासंघ की आम सभा की बैठक बुलाई है। इसमें लगभग 80 सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि “वहीं इन सभी मुद्दों पर चर्चा की जाएगी” और निर्णय लिया जाएगा।
अगले महीने खत्म हो रहा है बृजभूषण सिंह का कार्यकाल
बता दें कि बृजभूषण सिंह का चार साल का कार्यकाल फरवरी में समाप्त होने वाला है। फरवरी 2019 में तीसरी बार WFI अध्यक्ष बनने के बाद, उन्होंने अब इस पद पर 10 साल बिताए हैं। पार्टी के एक सूत्र ने कहा, “पार्टी नेतृत्व विभिन्न खेल निकायों में खराब स्थिति से अवगत है, लेकिन बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों द्वारा लगाए गए आरोप विश्वसनीय नहीं हैं। इसलिए आज की स्थिति में, यह संभावना नहीं है कि भाजपा नेतृत्व उन पर पद छोड़ने के लिए दबाव डालेगा।”
रामदेव को कहा था “मिलावटों का राजा”
रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने कहा कि बृजभूषण सिंह ने पार्टी से कहा है कि आरोपों के पीछे एक ‘साजिश’ है क्योंकि उन्होंने हाल ही में ‘कुछ ताकतवर हस्तियों को नाराज’ किया था। उन्होंने सार्वजनिक रूप से शुक्रवार को घोषणा की कि वह पद नहीं छोड़ेंगे। भाजपा नेताओं ने कुछ जानी-मानी हस्तियों के साथ बृजभूषण सिंह के हालिया ‘टकराव’ का भी संज्ञान लिया है। पिछले महीने, उन्होंने बाबा रामदेव को “मिलावटों का राजा” कहा था और उनके खाद्य पदार्थों की जांच की मांग की थी। जिसके बाद योग गुरु ने उन्हें माफी मांगने के लिए नोटिस भेजा था। हालांकि बृजभूषण सिंह ने ऐसा करने से मना कर दिया।
योगी सरकार की भी आलोचना कर चुके हैं बृजभूषण
अकेले, रामदेव ही नहीं भाजपा सांसद ने यूपी सरकार की भी आलोचना की थी। पिछले साल, सांसद ने बाढ़ प्रबंधन पर योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाले उत्तर प्रदेश प्रशासन की आलोचना की थी। उन्होंने बाढ़ से निपटने के लिए खराब तैयारी करने और राहत के लिए पर्याप्त उपाय नहीं करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि लोगों को “भगवान भरोसे” छोड़ दिया गया था।
पिछले साल, वह संसद भवन में एक केंद्रीय मंत्री के साथ विवाद में फंस गए थे। आरोप लगाया गया था कि मंत्री ने बार-बार अनुरोध के बावजूद उनसे मिलने से इनकार कर दिया था। उत्तर प्रदेश के एक पार्टी नेता ने कहा, “बृजभूषण सिंह के सहयोगियों का कहना है कि आरोपों के पीछे एक राजनीतिक साजिश हो सकती है। हालांकि उस पर कोई स्पष्टता नहीं है, लेकिन उनकी (बृजभूषण की) बात महत्वपूर्ण है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।”
यूपी के गोंडा जिले में दबदबा रखने वाले बृजभूषण सिंह काफी हद तक स्व-निर्मित नेता हैं। वह मूल रूप से भाजपा कैडर से नहीं हैं। अब पहलवानों के शोषण का मामला विपक्षी दल भी उठा रहे हैं। इससे बृजभूषण सिंह के इस तर्क को आगे बढ़ाने में मदद मिली है कि यह मुद्दा “राजनीतिक” है। कांग्रेस ने शुक्रवार को मांग की कि डब्ल्यूएफआई को भंग किया जाए और पीएम मोदी से सवाल किया।