यूपी (UP) के बस्ती जिले (Basti district) में एक पुलिस थाना (police station) ऐसा भी है, जिसे मुर्गे (chicken) चलाते है. बस्ती के कप्तानगंज (Kaptanganj) थाना परिसर में पुलिसकर्मियों और फरियादियों के बीच सैकड़ों मुर्गे बेधड़क घूमते रहते हैं. थाने में आने वाले हर शख्स को पहले ही चेतावनी दे दी जाती है कि इन मुर्गों को पकड़ना या छूना मना है. यहां पर आपको दरोगा और सिपाहियों से ज्यादा मुर्गे ही मुर्गे दिखाई पड़ेंगे. थानेदार के ऑफिस से लेकर वहां की गाड़ियों तक में सबमें आपको मुर्गे ही मुर्गे देखने को मिलेंगे. यहां तक की इनकी रखवाली से लेकर खाने पीने तक का ध्यान भी पुलिस वाले ही रखते हैं. रास्ते में आने जाने वाले लोग भी थाना परिसर में इतनी बड़ी संख्या में मुर्गों को देखकर आश्चर्यचकित हो जाते हैं. लोग काफी दूर दूर से मुर्गे वाले थाने को देखने भी आते हैं.
गांव के निवासी बुनियाद अली बताते हैं कि यहां मुर्गे सैकड़ों सालों से रह रहे हैं और वो किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते बल्कि वो थाने की रखवाली ही करते हैं. अंग्रेजों के समय में भी यहां मुर्गे रहते थे. उनको कोई भी क्षति नहीं पहुंचता बल्कि जो भी यहां आता है उनके खाने के लिए जरूर कुछ न कुछ लाता है.
बुनियाद अली ने आगे बताया कि आज से लगभग 40 साल पहले यहां एक डीएन ओझा नाम के थानेदार पोस्ट हुए थे. वो आते ही यहां से मुर्गों को हटा दिए. उसका आलम यह रहा की बाबा उनको यहां रहने नहीं दे रहे थे. डीएन ओझा जब रात में सोते थे तो बाबा उनको कोड़ो से मारते थे और उनको बिस्तर से नीचे पटक देते थे. जिससे भयभीत होकर थानेदार डीएन ओझा बाजार गए और वहां से ढेर सारे मुर्गे खरीद लाए. तब जाकर उनकी जान बची.
मुर्गे को मारना पड़ गया महंगा
थाने के चौकीदार राम लौट ने बताया की यहां हम लोग मुर्गों को जानवरों से बचाते हैं और इनके खाने पीने का भी पूरा ध्यान रखते हैं. राम लौट ने आगे बताया की हमारे बुजुर्ग बताया करते हैं की एक बार कोई थानेदार यहां आया था जिसने मुर्गों को मारकर खा लिया. उसका आलम यह रहा की अगले दिन उनकी वाइफ ही एक्सपायर हो गई. तब से कोई भी मुर्गों को न तो मरता है और न ही परेशान करता है. मुर्गे बिन्दास पूरे थाना परिसर में घूमते हैं और सबके कौतूहल का केंद्र भी बने हैं.
गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल
कप्तानगंज थाना गंगा जमुनी तहजीब का एक मिशाल भी पेश कर रहा है. यहां एक तरफ जहां मंदिर है तो दूसरी तरफ शहीद बाबा का मजार. जिससे यहां सभी धर्मों के लोग आते हैं. थाना परिसर में स्थित मजार की सबसे दिलचस्प बात यह है कि यहां लोग जिन्दा मुर्गा चढ़ाते हैं. जिसको न कोई मारता है और न ही कोई पकड़ता है. उसी गांव की रहने वाली महिला आशा देवी ने बताया कि यहां मजार पर हर गुरुवार को लोग पूजा करते हैं और जो भी कुछ शहीद बाबा से मान्यता मांगी जाती है, वह जरूर पूरी होती है. जिसकी मान्यता पूरी होती है वह गुरुवार को आकर मजार पर चादर व मुर्गा चढ़ाता है. आशा देवी ने आगे बताया कि मुर्गों के रहने के लिए थाना परिसर में बकायदा रूम भी बनाया गया है.
मुर्गों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता
बस्ती एसपी आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि कप्तानगंज थाना परिसर के पीछे शहीद बाबा की मजार है. जहां लोग आकर पूजा पाठ करते हैं. जिनकी मुरादे पूरी होती है वो यहां पर जिंदा मुर्गा चढ़ाते हैं और लोग उनके खाने पीने की सामाग्री भी लाकर देते रहते हैं. मुर्गे उनको खाते हैं. इस मान्यता के चलते कोई भी उनको क्षति नहीं पहुंचाता.