महाराष्ट्र (Maharashtra) के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के ”डेढ़ महीने पहले कठिन दही हांडी” फोड़ने के बयान पर शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे (Aditya Thackeray) ने अब भारी पलटवार किया है। ठाकरे ने कहा कि हमारे बिना सीएम शिंदे का दिन और उनकी राजनीति नहीं चलती है। जन्माष्टमी के इस मौके पर राजनीति की बात न ही की जाए तो अच्छा रहेगा।
दरअसल, एकनाथ शिंदे ने एक कार्यक्रम में कहा था कि आप लोग अब दही हांडी तोड़ रहे हैं, हमने तो डेढ़ महीने पहले एक बहुत ही कठिन दही हांडी को तोड़ा था। आदित्य ठाकरे ने शिंदे के बयान पर पलटवार करते हुए कहा, सीएम शिंदे को दिन-रात हमारी याद आती है। हमारे बिना उनका दिन और राजनीति नही चलती है, मेरी उन्हें शुभकामनाएं। इतना जरूर कहूंगा कोई भी मेच्योर आदमी आज राजनीति पर बात नहीं करेगा। आज लोगों को आनंद लेने दीजिए, काफी दिनों बाद इतनी भीड़, जोश देखने को मिल रहा है। कोविड का काल पूरी दुनिया के लिए भयावह था। हम इससे बाहर आ गए हैं और इसके लिए इसका आनंद लीजिए। इसमें राजनीति न लाएं तो अच्छा होगा।
गौरतलब है कि शिंदे ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था, ‘आप लोग अब दही हांडी तोड़ रहे हैं। हमने डेढ़ महीने पहले एक बहुत ही कठिन दही हांडी को तोड़ा था। यह बहुत कठिन था, ऊंचा था, और हमें उसे तोड़ने के लिए 50 मजबूत परतों की मदद लेनी पड़ी, लेकिन अंतत: हम सफल हुए।’ उन्होंने कहा कि जहां एक ओर शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे चाहते थे कि पार्टी का एक कार्यकर्ता महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बने, वहीं दिवंगत आनंद दीघे चाहते थे कि ठाणे के किसी शिवसेना कार्यकर्ता को यह शीर्ष पद मिले। शिवसेना के दिग्गज नेता रहे आनंद दीघे को ही सियासत में शिंदे का गुरु माना जाता है।
शिवसेना के तरफ़ से पहली बार सेना भवन के पास निष्ठा दही हांडी का आयोजन किया गया। इसका सबसे बड़ा कारण यही रहा की वर्ली के जंभोरी मैदान में इस बार बीजेपी की तरफ से दही हांडी के लिए मैदान पहले से बुक था। आदित्य ठाकरे जब सेना भवन के निष्ठा हांडी में शामिल होने पहुंचे तो उनके साथ शिवसेना का और कोई बड़ा चेहरा मंच पर नजर नहीं आया। इस मौके पर हर साल वर्ली में दही हांडी का आयोजन करने वाले सचिन अहिर, रश्मि ठाकरे के भांजे वरुण सरदेसाई और किशोरी पेडणेकर ही नजर आईं।
शिवसेना वर्ली में दही हांडी नही फोड़ सकी तो वर्ली के गोविंदा पथको को सेना भवन बुलाया गया था। पहली बार ऐसा हुआ जब शिवसेना अपनी सबसे बड़ी दही हांडी मना दादर में रही थी और नारे ‘वर्ली वर्ली’ के लगे। अमूमन शिवसेना की दही हांडी में जो भीड़ दिखती है वो उद्धव गुट की इस निष्ठा हांडी में नहीं दिखी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि एकनाथ शिंदे गुट की बगावत का पार्टी पर काफी असर पड़ा है।