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मिस्र में 2300 साल पुराने शापित ताबूत से मिला रहस्‍यमय ‘जूस’, लाल पानी पीने की लगी होड़

प्राचीन पिरामिडों के देश मिस्र में के अलेक्जेंड्रिया में पुरात्तव विभाग को एक म‍कबरे के अंदर दो साल पहले वर्ष 2018 में रहस्‍यमय ‘जूस’ मिला था। यह जूस लगभग 2300 साल पुराने एक काले रंग के ताबूत के भीतर से मिला था। यह लाल पानी मिलने की खबर जैसे-जैसे फैली जिसके बाद अब लगभग 36 हजार लोग इसे पीने की इच्छा जाहिर कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि खुदाई के दौरान यह मकबरा मिला जोकि करीब 10 फुट लंबा था, इसी मकबरे में इस ताबूत को दफन किया गया था।

बता दें कि खुदाई के दौरान तीन कंकाल मिले। साथ ही लाल-भूरे रंग के पानी का भी पता चला, जिसने कंकाल की बदबू को पूरी तरह खत्म कर दिया। मिस्र के समाचार आउटलेट एल-वतन के मुताबिक, पुरातत्वविदों ने शुरू में कब्र के ढक्कन को केवल 5 सेमी (2 इंच) तक उठाया गया था। जिसके बाद उससे तीखी बदबू आने लगी। फिर उन्होंने मिस्र के सैन्य इंजीनियरों की सहायता से इसके ढक्कन को खोला। मिली जानकारी के अनुसार, सुप्रीम काउंसिल ऑफ एंटिक्स के महासचिव मोस्तफा वज़िरी ने बताया था, “हमें ताबूत में तीन लोगों की हड्डियां मिलीं। इन्हें पारिवारिक तरीके से दफनाया गया था। दुर्भाग्य से अंदर की ममी ठीक नहीं थी और सिर्फ हड्डियां बची थीं।”

वज़िरी ने बताया था, “हमने इसे खोल दिया है। शुक्र है कि यहां मैं आपके सामने खड़ा हूं। मैं ठीक हूं।” मिस्र के राज्य के स्वामित्व वाले समाचार पत्र अल-अहराम ने कहा है कि इस आशंका के बाद भी कि अब लोगों को साफ कर दिया गया है कि व्यंग्यात्मक जहरीले धुएं की वजह से सरकोफेगस जारी हो सकता है।

तूतनखामुन के दफन स्थल की खुदाई के वित्तीय सहायक लॉर्ड कार्नरवोन ने 1923 में चैंबर खोलने के बाद ही एक संक्रमित मच्छर के काटने से मृत्यु हो गई। उसी समय से, अफवाहें फ़ैल गई हैं कि ममियां खतरनाक होती हैं। हवाई विश्वविद्यालय में महामारी विज्ञान के प्रोफेसर एफ डेवॉल्फ मिलर ने नेशनल जियोग्राफिक को बताया कि इससे किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं है।