जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने रविवार को केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि सुरक्षा बलों को किसानों की जमीन और आम लोगों के इलाके में डालकर सरकार सार्वजनिक जगहों को खत्म कर रही है. पिछले महीने जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सीआरपीएफ कैंप के लिए घाटी में कई जगहों पर जमीन हस्तांतरित करने को मंजूरी दी थी. इसके बाद ऐसी रिपोर्ट्स सामने आईं कि लोगों में अपनी खेती की जमीन खोने का डर है.
महबूबा मुफ्ती ने ऐसी ही एक खबर को ट्विटर पर रीट्वीट करते हुए लिखा, “खेती की जमीन और वेडिंग हॉल जैसे नागरिकों के इलाके में सुरक्षा बलों को जगह देकर भारत सरकार ना सिर्फ सार्वजनिक स्थानों को खत्म कर रही है बल्कि सुरक्षाबलों और लोगों के बीच सीधे-सीधे टकराव की स्थिति पैदा कर रही है. इसके काफी घातक परिणाम हो सकते हैं.”
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने 28 अक्टूबर को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में सीआरपीएफ को जमीन हस्तांतरित करने का फैसला लिया गया था. इसके तहत दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग, पुलवामा और शोपियां जिलों में बटालियन कैंपिंग साइट स्थापित करने के लिए सीआरपीएफ के पक्ष में 524 कनाल 11 मरला (26.23 हेक्टेयर) भूमि हस्तांतरित करने की मंजूरी दी गई थी.
महबूबा ने हाल ही में आतंकवादियों द्वारा आम नागरिकों की हत्याएं किए जाने के बाद कश्मीर में केंद्रीय सशस्त्र अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती की खबरों के बाद भी कहा था कि जम्मू-कश्मीर संकट के लिए सैन्य नहीं, बल्कि राजनीतिक समाधान की आवश्यकता है. पीडीपी अध्यक्ष ने कहा था, ”जम्मू-कश्मीर को सैन्य छावनी में बदलने के बाद भी अतिरिक्त सैनिकों को कश्मीर लाया जा रहा है. यहां के लोगों को जरा सी भी सांस लेने की जो जगह बची है उसे भी सुरक्षा की आड़ में बंद किया जा रहा है.”
सीपीएम ने भी सामुदायिक हॉल में तैनाती का किया था विरोध
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) के नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी ने भी हाल ही में कहा था कि श्रीनगर में सामुदायिक हॉल पर सीआरपीएफ के कब्जे और कश्मीर में नए सुरक्षा बंकरों के निर्माण ने केंद्रशासित प्रदेश में स्थिति सामान्य होने के भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दावे की पोल खोल दी है. तारिगामी ने कहा था कि श्रीनगर में हर कोने पर सुरक्षा बंकर बनाए जा रहे हैं और घाटी में अर्द्धसैनिक बलों की नई कंपनियों को बुलाया गया है.
उन्होंने कहा, “स्थिति इस स्तर पर पहुंच गई है जहां केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के अतिरिक्त जवानों को विवाह सभागारों में तैनात किया जा रहा है जो यहां के लोगों के लिए एकमात्र निजी स्थान बचा था. सीआरपीएफ द्वारा विवाह हॉलों तक को अपने कब्जे में ले लेने और घाटी में नए सुरक्षा बंकरों के निर्माण से जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के तहत भूतपूर्व राज्य के विशेष दर्जे को असंवैधानिक रूप से निरस्त करने के बाद भाजपा सरकार के ‘सामान्य स्थिति’ के दावों की हवा निकल गई है.”