हिंसा प्रभावित मणिपुर की स्थिति पर कांग्रेस ने बुधवार को राज्य की स्थिति पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने राज्य में जमीनी हकीकत का पता लगाने के लिए पर्यवेक्षकों को भेजने का फैसला किया। यह फैसला कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार की शाम को पार्टी कार्यकर्ताओं के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत करने के बाद फैसला लिया।
उन्होंने कहा- “मणिपुर के कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के प्रतिनिधिमंडल ने राज्य के लोगों की परेशानियों के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि वहां के स्थानीय लोगों को किन मुसिबतों का सामना करना पड़ रहा है। जमीनी हकीकत का पता लगाने के लिए हम जल्द ही पर्यवेक्षकों को भेजेंगे।”
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बताया कि मणिपुर की स्थिति अभी भी चिंताजनक है। उन्होंने कहा- “केंद्र सरकार को राज्य के महौल को सामान्य बनाने के लिए हर संभव कोशिश करना चाहिए। राज्य में शांति स्थापित करने के लिए हर समुदाय की बराबर की हिस्सेदारी है।”
मणिपुर में स्थिति को संभालने के लिए कांग्रेस ने केंद्र और राज्य सरकार की आलोचना की और वहां राष्ट्रपति शासन लाने की भी मांग की। बता दें कि यह हिंसा तीन मार्च को आदिवासी एकता मार्च के बाद शुरू हुई थी। यह मार्च 10 जिलों में मैतेई समुदाय के अनुसुचित जनजाति में शामिल होने की मांग के खिलाफ निकाला गया था। हिंसा में 73 लोगों की मौत तो वहीं 231 लोग घायल हो गए हैं। करीबन 1,700 घर और धार्मिक स्थलों को जला दिया गया है।