पंजाब के सीमांत इलाकों में किसानों द्वारा कथित तौर पर बिहार उत्तर प्रदेश के मजदूरों को नशे का आदी बना कर उन्हें बंधक बनाकर अपने खेतों में काम कराने के मामले को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पंजाब सरकार को पत्र लिखकर रिपोर्ट तलब की है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि उन्हें अपनी एक एजेंसी से इस बाबत सूचना मिली है लिहाजा पंजाब सरकार से रिपोर्ट मांगी गई है लेकिन किसानों पर किसी तरह का कोई आरोप नहीं लगाया गया है. इस पत्र को लेकर राजनीति शुरू हो सकती है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक आला अधिकारी ने बताया की सीमा सुरक्षा बल की एक रिपोर्ट में केंद्रीय गृह मंत्रालय को बताया गया था कि पंजाब के सीमांत जिलों अबोहर फिरोजपुर गुरदासपुर आदि में यूपी और बिहार राज्य से आने वाले मजदूरों से वहां के स्थानीय किसान बंधुआ मजदूरी करा रहे हैं. रिपोर्ट में इस बाबत भी संकेत दिए गए हैं की बिहार और उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए मजदूर धीरे धीरे नशे के आदी बनने लगे हैं और नशे के चलते यह लोग ज्यादातर अपने घरों को वापस नहीं जाते और जिसका पूरा फायदा स्थानीय किसान उठाते हैं और उन्हें एक तरीके से बंधक बनाकर कुछ किसान अपने खेतों में अमानवीय तरीके से काम भी कराते हैं .
बीएसएफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसने साल 2019 और 2020 के दौरान कई दर्जन मजदूरों को छुड़ाकर स्थानीय पुलिस के हवाले भी किया था. गृह मंत्रालय के आला अधिकारी के मुताबिक क्योंकि इस बाबत एक एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट दी है लिहाजा यह जानना जरूरी है कि क्या वास्तव में पंजाब के सीमांत जिलों में ऐसी कोई स्थिति अब भी मौजूद है या नहीं. यही कारण है कि पंजाब के मुख्य सचिव और पुलिस प्रमुख को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा पत्र भेजा गया है पत्र में बीएसएफ की रिपोर्ट का हवाला देते हुए पूछा गया है कि क्या वास्तव में ऐसी कोई स्थिति वहां है या नहीं. इस बाबत एक पूरी रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास प्रेषित की जाए .गृह मंत्रालय के आला अधिकारी के मुताबिक अभी पंजाब से कोई रिपोर्ट गृह मंत्रालय तक नहीं आई है.