बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने हिंदू धार्मिक पाठ पर विवादास्पद बयान देकर अयोध्या के संतों को नाराज कर दिया है। मंत्री ने बुधवार को दावा किया था कि रामचरितमानस और मनुस्मृति समाज को बांटने वाली और नफरत फैलाने वाली किताबें हैं। इसके जवाब में तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास ने अब मंत्री पर 10 करोड़ रुपये के इनाम की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि चंद्रशेखर की जुबान काट कर लाने वाले को 10 करोड़ रुपये का इनाम दिया जाएगा और ऐसे मंत्री को तुरंत बर्खास्त किया जाना चाहिए।
राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने भी इस बयान पर कड़ी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि अगर मंत्री के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो साधु चुप नहीं रहेंगे। जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने भी मंत्री को उनके पद से बर्खास्त करने की मांग की और कहा कि मंत्री के बयान से पूरा देश आहत है। उन्होंने मंत्री से अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगने को कहा और कहा कि रामचरितमानस एक ऐसा ग्रंथ है जो लोगों को जोड़ता है और मानवता की स्थापना करता है। संत ने कहा, ”बिहार के शिक्षा मंत्री ने जिस तरह से रामचरितमानस ग्रंथ को नफरत फैलाने वाली किताब बताया है उससे पूरा देश आहत है। यह सभी सनातनियों का अपमान है। मैं इस बयान पर कानूनी कार्रवाई की मांग करता हूं। उन्हें पद से बर्खास्त किया जाए। एक सप्ताह के भीतर मंत्री को माफी मांगनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो मैं बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर की जीभ काटने वाले को 10 करोड़ रुपये का इनाम देने की घोषणा करता हूं।”
रामचरितमानस पर विवादित बयान देकर विवादों में फंसे बिहार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर ने सफाई दी है। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस पर कोई सवाल खड़े नहीं किए गए हैं बल्कि उन्होंने उत्तर कांड और सुंदरकांड के कुछ दोनों की सिर्फ व्याख्या की है। उन्होंने कहा है कि इसे लेकर वह अपने बयान पर कायम हैं, जो लोग मेरी जीभ काटना चाहते हैं काटे, कोई तो अमीर हो जाएगा।