करप्शन परसेप्शन इंडेक्स (CPI) में भारत 6 पायदान फिसलकर 86वें नंबर पर आ गया है. गुरुवार को साल 2020 के लिए ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल (TI) का करप्शन परसेप्शन इंडेक्स जारी हुआ. जिसमें ये जानकारी सामने आयी. इस से पहले साल 2019 में जारी हुयी रैंकिंग में भारत 80वें स्थान पर था. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अब भी भ्रष्टाचार इंडेक्स में काफी पीछे है. करप्शन परसेप्शन इंडेक्स में 180 देशों में सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार के स्तर को आधार बनाकर रैंक जारी की जाती है. इसमें शून्य से लेकर 100 तक के पैमाने का उपयोग किया जाता है. शून्य स्कोर वाला देश सबसे अधिक भ्रष्ट माना जाता है और 100 स्कोर वाला देश सबसे साफ माना जाता है. भारत का स्कोर 40 है और वह 180 देशों में 86वें स्थान पर है. 2019 में भारत का स्कोर 41 था और वह 80वें स्थान पर था. इस रैंकिंग में चीन 78वें स्थान पर पाकिस्तान 124वें और नेपाल 117वें स्थान पर है. ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के सर्वेक्षण के अनुसार दो तिहाई देशों ने 100 में से 50 से कम अंक हासिल किए और औसतन अंक 43 रहा.
करप्शन परसेप्शन इंडेक्स में इस साल ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के पैमानों में कोविड-19 महामारी से निपटने के दौरान हुए भ्रष्टाचार पर खासा जोर रहा. संगठन की रिपोर्ट में ये बात सामने आयी कि, जिन देशों में भ्रष्टाचार सबसे कम है वो देश कोरोना वायरस और आर्थिक चुनौतियों से निपटने में सर्वश्रेष्ठ रहे. वहीं जिन देशों में भ्रष्टाचार बहुत ज्यादा है वे कोरोना वायरस से निपटने में कम सक्षम रहे. ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की चेयरपर्सन डेलिया फरेरिया रूबियो के अनुसार, “कोरोना महामारी केवल स्वास्थ्य और आर्थिक संकट ही नहीं बल्कि एक भ्रष्टाचार संकट भी है, हम इसे संभालने में विफल हो रहे हैं.”
सबसे कम भ्रष्टाचार के मामले में करप्शन परसेप्शन इंडेक्स में इस साल न्यूजीलैंड और डेनमार्क शीर्ष पायदान पर रहे. दोनों ही को 100 में से 88 अंक हासिल हुए. इसके बाद सिंगापुर, स्विट्जरलैंड, फिनलैंड और स्वीडन ने 85 अंक हासिल किए हैं. वहीं, नॉर्वे को 84, नीदरलैंड्स को 82, जर्मनी और लक्जेमबर्ग को 80 अंक प्राप्त हुए हैं. ये सारे देश टॉप 10 में शामिल हैं. इंडेक्स के अनुसार सोमालिया और दक्षिण सूडान में भ्रष्टाचार की स्थिति बेहद खराब है. दोनों ही देश 12 अंकों के साथ सबसे नीचे 179वें स्थान पर रहे.