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भारत-चीन गतिरोध में आयी कमी, आईटीबीपी की सख्त पेट्रोलिंग में रहेगा यह क्षेत्र

पूर्वी लद्दाख की वास्तविक नियंत्रण रेखा पर नौ महीने से चले आ रहे तनाव, गतिरोध में कुछ कमी आई है। पैंगोंग सो के उत्तरी-दक्षिणी इलाकों से भारत और चीन की सेनाओं ने अपने हथियारों के साथ पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी कर ली है। अब अन्य क्षेत्रों के लिए सहमति बनाने के लिए दसवें दौर की सैन्यवार्ता हुई है। गतिरोध के इस बीच इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस लद्दाख के उन इलाकों में पेट्रोलिंग जारी रखेगी, जहां पर भारत-चीन के बीच आमने-सामने जैसी स्थिति नहीं है। इस मामले से वाकिफ सूत्रों ने बताया कि तनाव की वजह से पेट्रोलिंग रुक गई थी। सीमा सुरक्षा बल उन क्षेत्रों में पेट्रोलिंग नहीं करेगा जहां पर अभी डिसइंगेजमेंट हुआ है या फिर आमने-सामने जैसी स्थिति है। देप्सांग, गोगरा, हॉट स्प्रिंग्स और कांगका ला जैसे स्ािानों में अभी भी स्थिति सुधरी नहीं है। इन क्षेत्रों में पेट्रोलिंग को लेकर फिर से बातचीत होगी। एक अधिकारी ने बताया कि एलएसी पर हम उन क्षेत्रों में पेट्रोलिंग को जारी रखेंगे जहां पहले करते रहे थे। सिर्फ उन जगहों पर पेट्रोलिंग नहीं होगी, जहां आमने-सामने की स्थिति है। इनमें कुछ चराई के मैदान, आंतरिक क्षेत्र और उत्तराखंड के साथ-साथ पूर्वी क्षेत्र के पेट्रोलिंग बिंदु शामिल हैं।

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले गुरुवार को संसद में बताया था कि अन्य फ्रिक्शंस वाली जगह पर फैसला पैंगोंग झील क्षेत्र में डिसइंगेजमेंट के बाद 48 घंटों बाद दोनों सेनाओं के बीच होने वाली बैठक में लिया जाएगा और चर्चा होगी। रक्षा मंत्री ने कहा था कि पीछे हटने की सहमति के अनुसार चीनी की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी उत्तरी क्षेत्र में फिंगर 8 तक वापस चली जाएगी और भारतीय सेना फिंगर 3 में बने बेस पर आ जाएगी। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि लद्दाख क्षेत्र में अपने बॉर्डर आउटपोस्ट्स में आईटीबीपी अभी यथास्थिति बनाए रखेगा। गलवान हिंसा के बाद वहां पर जून-जुलाई में 60 अतिरिक्त कंपनियों लगभग 6,000 कर्मियों को तैनात किया गया था।

पूर्वी लद्दाख में आईटीबीपी के अधिकांश बीओपी में कम से कम 25 से 30 अतिरिक्त कर्मियों को तैनात किया गया है। आमतौर पर प्रत्येक सीमा चैकी में 100 से 110 जवान तैनात किए जाते हैं। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि देखना होगा कि अगले कुछ हफ्तों में चीजें कैसे ठीक होती हैं। अगर सभी इलाकों में पीछे हटने की प्रक्रिया शांतिपूर्ण ढंग से पूरी हो जाती है तो फिर अतिरिक्त जवानों को वापस भेज दिया जाएगा। इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास, सड़कों का निर्माण, जवानों की बैरक, चैकियों की मरम्मत, निर्माण और चीन के साथ 3,488 किमी लंबी सीमा पर सरकार द्वारा स्वीकृत 47 नए बीओपी पर काम पहले की तरह जारी रहेगा।

अत्याधुनिक बीओपी के इस साल अप्रैल या मई तक आधिकारिक रूप से चालू होने की संभावना है। ज्ञात हो कि भारत और चीन दोनों ने लद्दाख के डेप्थ और फॉरवर्ड इलाकों में एक लाख से अधिक जवानों की तैनाती कर रखी है पिछले सितंबर में संसद में दिए एक बयान में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि दुनिया की कोई भी ताकत भारतीय सेना को अपनी सीमाओं पर गश्त करने से नहीं रोक सकती।