वैसे तो दुनिया में कई तरह की परंपरा है लेकिन छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में आदिवासी मुंडा समाज में एक अजीबोगरीब परंपरा आज भी निभायी जाती है। इस परंपरा को सुनकर ही आपको हैरानी होगी जी हां बता दें कि यहां ग्रह-दोष दूर भगाने के लिए बच्चों का विवाह कुत्ते के बच्चे के साथ किया जाता है।
इस समाज के अनुसार अगर किसी दुधमुंहे बच्चों के ऊपरी दांत पहले निकलने पर माना जाता है कि उसे ग्रहदोष लग जाता है। यही कारण है कि पांच वर्ष से पहले ऐसे बच्चों की शादी कुत्ते से कर दी जाती है। हैरानी को बात तो ये है कि ये शादी भी पूरे रीति-रिवाज व धूमधाम से होती है। बच्चों को दूल्हा-दुल्हन के रूप में सजाने के साथ कुत्ते के बच्चे को भी सजाया जाता है उसे माला भी पहनाया जाता है।
धुमधाम से बारात निकालकर गांव के आखिरी छोर में बच्चों की शादी की जाती है। बड़े-बुजुर्ग पूजा-अर्चना के साथ ही बच्चों व कुत्ते को हल्दी भी लगाते हैं। इसके बाद सामान्य शादी की तरह मांग भरी जाती है, आशीर्वाद लिया जाता है। शादी संपन्न होते ही समाज की महिलाएं पारंपरिक गीत गाते हुए झूमते-नाचते दूल्हा-दुल्हन को घर ले जाती हैं, जहां उनके पैर धुलाकर घर प्रवेश कराया जाता है। इस खुशी में रातभर जश्न मनाया जाता है।
हैरानी की बात ये हो रही है कि सभी रीति रिवाजों के साथ इस शादी को सम्पन्न किया जाता है। बड़े होने तक दूल्हा-दुल्हन की देखरेख की जिम्मेदारी समाज के लोग ही निभाते हैं।
ये परंपरा आज से नहीं बल्कि सदियों से चली आ रही है। गांव वालों के अनुसार जिन बच्चों के ऊपर के दांत पहले निकलते हैं उनकी शादी कुत्ते से कराना अनिवार्य होता है।
यहां के कई बड़े-बुजुर्गो की भी बचपन में ऐसी शादी हो चुकी है। बच्चों के परिजन भी रस्म अदा करते हुए कुत्ते का स्वागत करते हैं। उन्हें उपहार में रुपये भेंट किए जाते हैं। उनके भी हाथ-पैर व माथे में हल्दी का लेप किया जाता है और सबसे आखिर मे दूल्हा कुत्ते का हाथ पकड़कर दुल्हन बच्ची के माथे में सिंदूर लगाया जाता है। वहीं दूल्हा बने बच्चे द्वारा दुल्हन कुत्ते के माथे में सिंदूर लगाकर शादी की रस्म पूरी कराई जाती है। दिनभर गाने व नाचने का दौर चलता है। वहीं बस्ती में विशेष व्यंजन बनाकर एक-दूसरे को बांटे जाते हैं।