तकनीकी के साथ अब भारतीय हथियार भी दुनिया को पसन्द आने लगे हैं। भारतीय मिसाइन आकाश को कई देश अपने सेना के लिए चाहते हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आकाश मिसाइल प्रणाली के निर्यात को बुधवार को मंजूरी प्रदान कर दी। साथ ही निर्यात को तेजी से सुगम बनाने के लिए एक समिति गठित करने का भी निर्णय किया गया। आकाश मिसाइल की प्रणाली निर्यात से देश को अपने रक्षा उत्पादों को बेहतर बनाने और उन्हें विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिलेगी। रक्षा मंत्रालय के अनुसार आत्मनिर्भर भारत के तहत भारत विभिन्न प्रकार के रक्षा उपकरणों और मिसाइलों के निर्माण में अपनी क्षमताओं में वृद्धि कर रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर बताया कि आकाश देश की महत्वपूर्ण मिसाइल है और यह 96 प्रतिशत स्वदेशी प्रकृति की है। आकाश सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है और इसकी क्षमता 25 किलोमीटर है। उन्होंने कहा कि आकाश का निर्यात प्रारूप वर्तमान में भारतीय सशस्त्र सेनाओं के साथ तैनात प्रणाली से अलग होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में आकाश मिसाइल प्रणाली के निर्यात के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
ज्ञात हो कि आकाश मिसाइल को 2014 में भारतीय वायु सेना तथा 2015 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था। मंत्रालय के बयान के अनुसार रक्षा सेवाओं में इसके शामिल होने के बाद अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनरक्षा प्रदर्शनी, एयरो इंडिया के दौरान कई मित्र देशों ने आकाश मिसाइल में अपनी रुचि दिखाई। मंत्रिमंडल की मंजूरी से विभिन्न देशों द्वारा जारी आरएफआई, आरएफपीमें भाग लेने के लिए भारतीय निर्माताओं को सुविधा मिलेगी। अब तक भारतीय रक्षा निर्यातों में पुर्जे, घटक आदि शामिल थे। बड़े उपकरणों का निर्यात न्यूनतम था। मंत्रिमंडल की इस पहल से देश को अपने रक्षा उत्पादों को बेहतर बनाने और उन्हें विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिलेगी। आकाश के अलावा अन्य प्रमुख उपकरणों जैसे तटीय निगरानी प्रणाली, रडार और वायु उपकरणों में भी रुचि दिखाई जा रही है।
भारत के इन उपकरणों को कई देश चाहते हैं। ऐसे उपकरणों के निर्यात के हेतु तेजी से अनुमोदन प्रदान करने के लिए रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की एक समिति गठित की गई है। यह समिति विभिन्न देशों के लिए प्रमुख स्वदेशी उपकरणों के निर्यात को अधिकृत करेगी। समिति एक सरकार से दूसरी सरकार द्वारा खरीद सहित विभिन्न उपलब्ध विकल्पों का भी पता लगाएगी। भारत सरकार ने पांच अरब अमेरिकी डॉलर के रक्षा निर्यात के लक्ष्य को प्राप्त करने और मित्र देशों के साथ रणनीतिक संबंधों को बेहतर बनाने के लिए उच्च मूल्य वाले रक्षा प्लेटफार्मों के निर्यात पर ध्यान केंद्रित करने का विचार किया है। भारत वैष्विक हथियार निर्यातकों में शामिल होने के लिए तैयार है।