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भारत और अफगानिस्‍तान के बीच हुए शहतूत बांध के समझौते पर हस्‍ताक्षर, क्या अब पानी के लिए भी तरसेगा भूखा पाक

9 फरवरी को भारत और अफगानिस्‍तान के बीच काबुल में बनने वाले शहतूत बांध के लिए एक समझौते पर हस्‍ताक्षर हो गए. समझौते पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अफगानिस्तान के राष्‍ट्रपति मोहम्मद अशरफ गनी की मौजूदगी में एक वर्चुअल कार्यक्रम में विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर और अफगानिस्तान के विदेश मंत्री श्री हनीफ अतमार ने हस्ताक्षर किए. इस बांध को अफगानिस्‍तान में लालंदर बांध के तौर पर भी जाना जाएगा. यह प्रोजेक्‍ट जहां भारत और अफगानिस्तान की दोस्‍ती की नई मिसाल है तो वहीं पाकिस्‍तान का ब्‍लड प्रेशर बढ़ाने वाला है. जानिए कैसे एक बार फिर ईरान, अफगानिस्‍तान और भारत का ट्राइंगल बनेगा पाकिस्‍तान की मुसीबत.

क्या है Shahtoot Dam योजना

120 (करीब 9 लाख करोड़ रुपये) से 305 बिलियन डॉलर (करीब 23 लाख करोड़ रुपये) की लागत वाले इस प्रोजेक्‍ट में ईरान भी मदद कर रहा है. ईरान की पोयाब कंपनी के साथ हुए समझौते के बाद डैम का डिजाइन फाइनल किया गया. अफगानिस्‍तान सरकार की तरफ से कहा गया है कि इस बांध के पूरा हो जाने के बाद काबुल में रहने वाले 2 मिलियन यानी 20 लाख लोगों को पीने का पानी मिल सकेगा. इसके अलावा छारासाइब और खैराबाद जिलों में 4000 हेक्‍टेयर की जमीन पर सिंचाईं की सुविधाएं भी उपलब्‍ध कराई जा सकेंगी. पहले चरण में बांध से अफगानिस्‍तान की देह सब्‍ज सिटी में भी पीने का पानी सप्‍लाई किया जा सकेगा. इन सबके अलावा अफगानिस्‍तान के शहरों में बिजली की कमी को भी पूरा किया जा सकेगा.

साल 2016 में बना सलमा डैम

जून 2016 में पीएम मोदी ने भारत-अफगानिस्‍तान मैत्री बांध जिसे सलमा डैम के तौर पर जानते हैं, उसका उद्घाटन किया था. शहतूत डैम, सलमा बांध के बाद अफगानिस्‍तान में दूसरा सबसे बड़ा बांध है. अफगानिस्‍तान की राजधानी काबुल में अब धीरे-घीरे आबादी बढ़ने लगी है और यहां पर बाढ़ की स्थितियां भी विकराल होती जा रही है. क्‍लाइमेट चेंज की वजह से यहां पर आने वाली मुसीबतों की आशंका पहले राष्‍ट्रपति गनी की तरफ से जताई जा चुकी है. शहतूत डैम, भारत की उस हाइड्रो-डिप्‍लोमैसी की हिस्‍सा है जिसके बाद ‘दोस्‍त’ के घर में तो तकलीफें कम होंगी लेकिन ‘दुश्‍मन’ पाकिस्‍तान के लिए परेशानियां बढ़ जाएंगी.

Shahtoot Dam से क्यों टेंशन में है पाकिस्तान

पाकिस्‍तान की तरफ से इस डैम को लेकर पहले ही आशंकाएं जताई जा चुकी हैं. काबुल नदी पर शहतूत डैम के अलावा 12 और पूर्वनियोजित डैम बनने वाले हैं. इन बांधों की वजह से पाकिस्‍तान को मिलने वाले पानी में 16 से 17 प्रतिशत तक की कमी आएगी. साल 2015 में भारत सरकार की तरफ से घोषणा की गई थी कि अफगानिस्‍तान में अलग-अलग इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर प्रोजेक्‍ट्स पर दो बिलियन डॉलर खर्च किए जाएंगे. सलमा बांध के पूरा होने के बाद देश में 40,000 घरों को बिजली मिल रही है तो वहीं 80,000 हेक्‍टेयर जमीन को सिंचाई के लिए पानी मुहैया कराया जा रहा है.

अफगानिस्‍तान की पाक को दो टूक

काबुल नदी अफगान बॉर्डर से निकलती हुई, खैबर पख्‍तूनख्‍वां होती हुई पाकिस्‍तान में दाखिल होती है. यह नदी एटॉक में सिंधु नदी से मिलती है. अफगानिस्‍तान, पाक के इस दावे को खारिज कर देता है कि बांध की वजह से पाकिस्‍तान पर कोई असर पड़ेगा. पाकिस्‍तान इसलिए भी परेशान है क्‍योंकि अफगानिस्‍तान के साथ पानी के इस्‍तेमाल पर कोई भी कानूनी मसौदा अभी तक तैयार नहीं है जबकि अफगान-पाक बॉर्डर पर कई ऐसी नदियां हैं दोनों देशों को पानी मुहैया कराती हैं. भारत अफगानिस्‍तान में इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर प्रोजेक्‍ट को एक रणनीति के तहत आगे बढ़ा रहा है.

ईरान की वजह से टेंशन में पाक

अफगानिस्‍तान में प्रोजेक्‍ट्स की वजह से पाकिस्‍तान पर अफगानिस्‍तान का मनोवैज्ञानिक दबाव बढ़ सकेगा. अफगानिस्‍तान हमेशा से पाकिस्‍तान पर हमेशा आतंकी ताकतों को मदद देने का आरोप लगाता आया है. इस प्रोजेक्‍ट में ईरान ने भी बड़ी मदद की है. ईरान वह देश है जो अक्‍सर सैन्य कार्रवाई के जरिए पाक की मुसीबतें बढ़ाता रहता है. पिछले दिनों ईरान ने पाक के बलूचिस्‍तान बॉर्डर पर एक सर्जिकल स्‍ट्राइक को भी अंजाम दिया है. जनवरी 2020 में अमेरिका की तरफ से हुई एयर स्‍ट्राइक में मारे गए ईरान के कमांडर कासिम सुलेमानी भी पाकिस्‍तान को कई बार चेतावनी दे चुके थे. कमांडर सुलेमानी ने कहा था, ‘हमने हमेशा इस क्षेत्र में पाकिस्‍तान को मदद की पेशकश की लेकिन पाक सरकार से मेरा एक सवाल है- आप किस दिशा में जा रहे हैं. आप अपने सभी पड़ोसियों की नाक में दम करके रखा है. आपको क्‍या एक और पड़ोसी चाहिए जो आपको असुरक्षित महसूस कराए.’