बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections) के नतीजों की घोषणा हो चुकी है, और इस बार भी तेजस्वी अपने वादों के साथ जनता के बीच फेल होते दिखाई दिए. जबकि मोदी लहर का असर एनडीए (NDA) को डूबने से बचा ले गया. 15 साल तक सीएम की कुर्सी पर बने रहने के बाद एक बार फिर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को ये मौका बीजेपी की तरफ से मिल गया है. जबकि नीतीश की विदाई करने के उम्मीद से उतरी महागठबंधन का आंकड़ा बीच में ही फंस गया और ये इंतजार फिर से पांच सालों के लिए टल गया. जाहिर सी बात है कि एक बार फिर बिहार की जनता ने एनडीए को अपना राजा चुना है. बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उम्मीदवार 243 विधानसभा सीटों में से 125 सीटें जीत ले गए.
आपकी जानकारी के लिए बता दें बहुमत पाने के लिए ये आंकड़ा आना जरूरी है. इस बार 122 सीटों से एनडीए को तीन सीटें ज्यादा मिली हैं. जबकि बात करें आरजेडी की तो महागठबंधन को 110 सीटों पर जीत हासिल हुई है. एनडीए के घटक दलों में नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) को 43 सीटें हासिल हुई हैं जबकि गठबंधन वाली पार्टी यानी भाजपा को 74 सीटों पर जीत मिली है. इसके साथ ही एनडीए के बाकी घटक हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) को चार और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को चार सीटों पर जीत मिली है.
चुनाव में कमजोर साबित हुए नीतीश
हालांकि एग्जिट पोल का अनुमान एक बार फिर एनडीए ने गलत साबित कर दिया है, और चुनाव में बहुमत के साथ जीत हासिल की है. एनडीए को मिली शानदार जीत के साथ ये बात भी तय हो गई है कि बिहार का अगला सीएम फिर से नीतीश कुमार ही होंगे. लेकिन इस बीच नीतीश की पार्टी जेडीयू चुनाव में काफी कमजोर जरूर नजर आई. भले ही नीतीश को बिहार की सत्ता सौंपी जाएगी. लेकिन इस बार उनकी पार्टी की सीटें जरूर कम हुई हैं. चुनावी मैदान में ये पहला इतिहास रहा है जब जेडीयू गठबंधन में बीजेपी से पीछे रह गई, और दूसरे नंबर की पार्टी बनकर उभरी. लेकिन बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा प्रचार-प्रसार के वक्त ये बात कई बार स्पष्ट कर चुके हैं कि, जेडीयू की सीटें कम आने के बाद भी नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बनाए जाएंगे.
आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी
चुनाव में मतगणना की जब शुरुआत हुई तो एनडीए के मुकाबले महागठबंधन दोगुनी रफ्तार से आगे चल रही थी. लेकिन अंत में ये बढ़त एक ही जगह टिक कर रह गई जबकि एनडीए बाजी मार ले गई. इस दौरान महागठबंधन को 110 सीटों पर जीत हासिल हुई. महागठबंधन का नेतृत्व करने उतरी आरजेडी को कुल 75 सीटों पर जीत हासिल हुई. कुल मिलाकर इस चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी बनकर उभरी. जबकि कांग्रेस 19 सीटों पर ही अटक गई. तो वहीं कम्युनिस्ट पार्टियों के खाते में सिर्फ 16 सीटें ही गईं.