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बिहार चुनाव के बाद कांग्रेस में फिर मची घमासान, खड़गे बोले- हाईकमान की निंदा पार्टी को खत्म कर देगी!

बिहार विधानसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस पार्टी (Congress Party) के खिलाफ चारो तरफ से आवाजें उठने लगी है. इसी बीच मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने पार्टी के कुछ नेताओं को लेकर बड़ा बयान दिया है. उनका कहना है कि, कांग्रेस पार्टी को अंदर से ही कुछ नेता कमजोर बना रहे हैं. चुनाव में मिली हार के बाद पार्टी के हाईकमान पर खुलकर तंज कस रहे नेताओं की निंदा करते हुए खड़गे ने गुरुवार को एकसाथ होने का आग्रह किया है. इसके साथ ही उन्होंने बाकी पार्टियों के नेताओं से हाईकमान को अपना समर्थन देने की मांग की है. खड़गे ने अपने बयान में कहा कि, हम एक साथ चुनावी मैदान में उतरे. लेकिन ये दुख की बात है कि, कुछ दिग्गज नेता टॉप लीडरशिप के विरोध में बयानबाजी कर रहे हैं.

खड़गे ने इंदिरा गांधी को लेकर रखे गए एक कार्यक्रम में बातचीत करते हुए कहा कि, यदि इस तरीके से हम खुद ही अपनी पार्टी और नेताओं को कमजोर करते रहेंगे, तो वो दिन दूर नहीं जब हमारी विचारधारा के कमजोर होने से पार्टी नष्ट हो जाएगी. इस मसले को ध्यान में रखना जरूरी है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, खड़गे का ये बयान बिहार चुनाव में मिली शिकस्त के बाद बोल रहे कुछ नेताओं को लेकर आया है.

बिहार चुनाव के बाद कपिल सिब्बल का बयान बयान
गौरतलब है कि चुनाव के बाद ही पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने एक अंग्रेजी दैनिक को इंटरव्यू देते हुए कहा था कि, ऐसा प्रतीत हो रहा है कि, पार्टी नेतृत्व ने शायद हर चुनाव में हार को ही अपनी किस्मत मान लिया है. आगे कपिल सिब्बल ने अपने बयान में ये भी कहा था कि, ये सिर्फ बिहार में हुए विधानसभा चुनाव को देखकर ही नहीं बल्कि बाकी राज्यों में हुए उपचुनावों के नतीजों से भी यही लग रहा है, कि अब जनता कांग्रेस पार्टी को प्रभावी ऑप्शन के तौर पर नहीं देख रही है.

अशोक गहलोत ने सिब्बल पर कसा था तंज
बता दें कि कपिल सिब्बल के आए इस बयान की निंदा कई कांग्रेसी नेताओं ने की है. यहां तक कि राजस्थान की कमान संभाल रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने पार्टी के आंतरिक मसलों को बाहर आकर इस तरह मीडिया के सामने रखने को लेकर उनकी आलोचना की है. गहलोत का कहना है कि, सिब्बल को ऐसे पार्टी से जुड़े मुद्दों के बारे में मीडिया से जिक्र करने की कोई आवश्यकता नहीं थी. क्योंकि इससे बाकी पार्टी के जुड़े कार्यकर्ताओं की भावनाओं को चोट पहुंचती है.