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बिहार की सियासत में फिर हलचल, बदल सकती है सरकार!

जिस तरह इस बार देश में मानसून अपना रूख बदल रहा है उसी तरह बिहार में भी मानसून गतिविधियां (Monsoon Activities) धीरे-धीरे बदलती दिख रही है। आरसीपी के इस्तीफे के बाद जिस तरह से बयानबाजी (rhetoric) हो रही है और बैठकों का दौर शुरू हो रहा है, उससे तो यही लगता है कि सावन महीने में लगी सियासी आग (political fire) कहीं सरकार ही न बदल दे।

बता दें कि जब से आरसीपी सिंह ने इस्तीफा दिया है तब से विपक्षी दल में एक्टिव हो गए हैं। बिहार कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास ने कहा कि आधिकारिक तौर पर स्वतंत्रता दिवस से संबंधित कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के लिए टना जा रहे हैं, लेकिन सूत्रों का कहना है कि वह राज्य में तेजी से बदलते हालात पर भी नजर आ रहे हैं। इससे विपक्षी पार्टियों के साथ जेडीयू के भविष्य में गठबंधन को लेकर अफवाहों को और हवा मिल रही है।

दरअसल, नीतीश कुमार साल 2015 का बिहार विधानसभा चुनाव महागठबंधन के साथ मिलकर भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ा था। महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस सहित वाम दल सहयोगी थे। नीतीश के चेहरे पर लड़े गए इस चुनाव में एनडीए को हार मिली और प्रदेश में महागठबंधन की सरकार बनी। उस वक्त भी नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को आरजेडी से कम सीट आयी थी, बावजूद इसके नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने।

प्रदेश में सरकार चल ही रही थी। काम भी कर रही थी। उसी वक्त लालू यादव के केंद्र में रेल मंत्री रहते हुए IRCTC घोटाले की फाइल खुल गई। इसमें लालू के अलावा तेजस्वी का भी नाम सामने आया। राज्य की महागठबंधन सरकार की किरकिरी होने लगी। सुशील मोदी ने लालू परिवार के खिलाफ मोर्चा भी खोल दिया था। बीजेपी ने सीधे नीतीश को निशाने पर ले लिया। इसके बाद अपनी जीरो टॉलरेंस की छवि बचाने के लिए नीतीश ने महागठबंधन सरकार से अलग होने का फैसला लिया। तारीख थी 25 जुलाई 2017। इस दिन महागठबंधन की सरकार गिर गई।
27 जुलाई 2017 को, ‘मिट्टी में मिल जाएंगे… बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे’ का राग अलापने वाले नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली। तब से सरकार चल रही है। सरकार चल तो रही है, लेकिन सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।

 

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने नीतीश कुमार पर जुबानी हमला बोला है। चिराग पासवान ने आगे कहा, ‘नीतीश कुमार (Nitish Kumar) साल 2020 में भी कन्फ्यूजन में थे और आज भी कन्फ्यूज्ड हैं। उन्हें चिराग पासवान ने नहीं-बिहार की 13 करोड़ जनता ने हराया था।

चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने कहा कि मैं सकारात्मक राजनीति करता हूं किसी का कोई मॉडल नहीं हूं दूसरे का घर तोड़ने वाले के घर में ही आज फूट हो गई है। बेहतर होगा कि वे कारणों को बाहर चौराहे पर ना तलाशें।
कुलमिलाकर आरसीपी ने जेडीयू से इस्तीफा दे दिया। आरसीपी के इस्तीफे के बाद बयानबाजी के साथ-साथ बैठकें शुरू हो गई हैं, उससे तो यही लगता है कि सावन महीने में लगी सियासी आग कहीं सरकार ही न बदल दे।