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बिना दवा के कंट्रोल होगी डायबिटीज, आज ही आजमाएं ये तरीका

डायबिटीज ऐसा रोग है, जिसमें शरीर उस भोजन का समुचित रूप से उपयोग नहीं करता जिसे ऊर्जा पाने के लिए डाइट में लेते हैं. कोशिकाओं को जीवित रहने और विकसित होने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है और भोजन ऊर्जा के एक रूप मे विखंडित हो जाता है जिसे ग्लूकोज कहते हैं.

शर्करा ही ग्लूकोज कहलाती है जो रक्त में जाकर रक्त शर्करा को बढ़ाती है. इंसुलिन ऐसा हार्मोन है जो पेनक्रियाज में बनता है. यह ग्लूकोज को रक्त से कोशिकाओं में पहुंचाता है ताकि शरीर इसको ऊर्जा के लिए इस्तेमाल कर सके. जीवन के लिए इंसुलिन महत्वपूर्ण है. अमरीकन डायबिटीज एसोसिएशन के मुताबिक ऐसे रोगियों को एक सप्ताह में 150 मिनट चलना चाहिए.

 

रोग के प्रकार
टाइप-1
पेनक्रियाज शरीर में इंसुलिन बनाना बंद कर देता है. ऐसे में मरीज को शरीर के बाहर से इंसुलिन देने की आवश्यकता पड़ती है. इसे आईडीडीएम (इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज मेलिटस) भी कहते हैं.

 

टाइप-2
एनआईडीडी (नॉन इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज मेलीटस) में शरीर की कोशिकाएं बन रहे इंसुलिन पर प्रतिक्रिया नहीं करती जिससे इंसुलिन बेअसर हो जाता है.

 

जेस्टेशनल डायबिटीज
यह ज्यादातर ऐसी स्त्रियों को होती है जो गर्भवती हों और उन्हें पहले कभी डायबिटीज की कम्पलेन न रही हो. प्रेग्नेंसी के दौरान रक्त में ग्लूकोज की मात्रा जरूरत से अधिक हो जाने के कारण यह कठिनाई होती है.

 

इन बातों का रखें खयाल

 

    • भोजन में 40 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 40 फीसदी वसा और 20 प्रतिशत प्रोटीन युक्तचीजें शामिल करनी चाहिए.

 

    • अधिक वजन है तो कुल कैलोरी का 60 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 20 फीसदी फैट और 20 फीसदी प्रोटीन से लेना चाहिए.

 

    • दही और छाछ के इस्तेमाल से ग्लूकोज का स्तर कम होता है साथ ही डायबिटीज नियंत्रण में रहती है.

 

एक्सरसाइज करें
मधुमेह बीमार को भोजन करने से लगभग दो घंटे पहले खाली पेट तेज गति से पैदल चलना चाहिए. साथ ही प्रतिदिन आधा से एक घंटा नियमित व्यायाम और योग करें. समय से सोने और प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठकर ताजी हवा में अभ्यास करना चाहिए.