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बढ़ते प्रदूषण से फेंफड़ो को रखना चाहतें हैं सुरक्षित तो बेहद काम आएंगे ये उपाय

दिल्ली में पॉल्यूशन (Pollution in Delhi-NCR) से लोगों का हाल बेहाल है. स्मॉग की वजह से लोगों की आंखों में जलन और सांस लेने में परेशानी हो रही है. दिल्ली-एनसीआर में एयर क्वालिटी इंडेक्स खतरनाक लेवल पर पहुंच चुका है. जिसे देखते हुए नोएडा, दिल्ली, गाजियाबाद के सभी स्कूलों को 8 नवंबर तक बंद कर दिया गया है. इस प्रदूषण से बचने के लिए दिल्ली सरकार काफी कुछ कर रही है. लेकिन आप भी घर में कुछ खास तरीके अपनाकर इस पॉल्यूशन (Pollution) से होने वाली गंभीर बीमारी से बच सकते हैं. आज हम आपको बताएंगे ऐसे कुछ ट्रिक्स जिसकी मदद से कोई भी गंदगी आपके शरीर में जमा नहीं हो पाएगी.

दिल्ली-एनसीआर में Smog से छलनी हुए फेफड़े
स्मॉग क्या है? पहली बार स्मॉग शब्द का इस्तेमाल 90 के दशक में किया गया था. जिसका मतलब प्रदूषण. स्मॉग व पॉल्यूशन होता है. पॉल्यूशन से सबसे ज्यादा नुकसान (Air Pollution Side Effects) शरीर के ऑर्गन्स को पहुंचाता है. यह पॉल्यूशन सांस के जरिए शरीर के अंदर चली जाती है. जिसके कारण सांस लेने में दिक्कत, गले में दर्द (Throat pain), लंग्स कैंसर, हार्ट डिजीज, रेस्पिरेटरी इंफेक्शन (respiratory infection) जैसी खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं.

पॉल्यूशन में फेफड़ों को कैसे रखें साफ
जब हमारे फेफड़ों या रेस्पिरेटरी सिस्टम में पॉल्यूशन की वजह से गंदगी पहुंच जाती है. तो इसे रोकने के लिए सबसे पहले आप कुछ ट्रिक्स का इस्तेमाल करें. इसका नेचुरल तरीका है आप जोर- जोर खांसने लगे. इससे जो भी गंदगी है निकलने लगेगा.

स्टीम लेकर लंग्स साफ रखें
डॉक्टर अक्सर कहते हैं कोल्ड कफ में स्टीम लेना तो जरूरी है ही. इस वक्त दिल्ली में रहने वाले लोगों के लिए रोजाना स्टीम लेना बेहद जरूरी है. अभी जो दिल्ली की स्थिती है उसमें यह कह सकते हैं कि स्मॉग से जो भी गंदगी आपके लंग्स में चली जाएगी वह आप स्टीम के जरिए निकाल सकते हैं. इससे लंग्स इंफेक्शन का खतरा नहीं रहेगा. लगातार स्टीम लेने से रेस्पिरेटरी सिस्टम में किसी भी तरह का कफ और गंदगी जमने का खतरा नहीं रहता है.

रोजाना खाली पेट खाएं गुड़
पॉल्यूशन के किसी भी तरह के साइड इफेक्ट्स से बचने के लिए रोजाना गुड़ खाएं. गुड़ खाने से शरीर की जितनी भी गंदगी होती है वह निकल जाती है. इसलिए सुबह एक गिलास गुनगुने पानी के साथ गुड़ जरूर खाएं.

इन फूड का करें सेवन
बीटरूट
फेफड़ों को स्‍वस्‍थ बनाने में बीटरूट यानी चुकंदर सहायक भूमिका निभा सकता है. फेफड़ों का सही ढंग से काम करना स्‍वस्‍थ शरीर के लिए बेहद जरूरी है. फेफड़ों को स्‍वस्‍थ और मजबूत बनाए रखने के लिए प्‍लांट बेस्‍ड फूड डाइट में शामिल किए जाने चाहिए. बीटरूट या चुकंदर नाइट्रेट्स से भरपूर होता है जो फेफड़ों को सही ढंग से कार्य करने की क्षमता प्रदान कर सकता है. नाइट्रेट्स ब्‍लड प्रेशर को कम करने और ब्‍लड वेसेल्‍स को आराम देने का काम करता है. बीटरूट में मैग्‍नीशियम, पोटेशियम, विटामिन सी और कैरोटेनॉयड एंटीऑक्सिडेंट पाए जाते हैं जो फेफड़ों के लिए आवश्‍यक माने जाते हैं.

सेब
कई शोधों से पता चलता है कि नियमित रूप से सेब खाने से फेफड़ों के कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है. खासकर उन लोगों को सेब मुख्‍य रूप से खाने चाहिए जो अधिक स्‍मोकिंग करते हैं. स्‍मोकिंग करने वाले लोगों के फेफड़े स्‍लो काम करते हैं. स्‍मोकर्स यदि हफ्ते में पांच दिन सेब का सेवन करते हैं तो उनके फेफड़े तेजी से कार्य करने लग जाते हैं. सेब अस्‍थमा और फेफड़ों में कैंसर होने के खतरे को भी कम कर सकता है. सेब में विटामिन सी, फ्लेवोनोइड्स और एंटीऑक्सिडेंट भरपूर मात्रा में होता है.

हल्‍दी
हल्‍दी कई हेल्‍थ प्रॉब्‍लम्‍स में काम आती है. हल्‍दी में मौजूद करक्‍यूमिन फेफड़ों को मजबूती देने का काम करती है. हल्‍दी में एंटीसेप्टिक और एंटीबायोटिक गुण होते हैं जो शरीर की इम्‍यूनिटी बढ़ाने का काम कर सकते हैं. हल्‍दी के नियमित प्रयोग से शरीर को स्‍वस्‍थ बनाया जा सकता है.

ब्राजील नट्स
ब्राजील नट्स में अधिक मात्रा में सेलेनियम पाया जाता है जो फेफड़ों के लिए फायदेमंद है. हाई सेलेनियम का सेवन फेफड़ों को कैंसर से बचाने में मदद कर सकता है. अस्‍थमा से पीड़ित लोगों की सांस लेने की प्रक्रिया में सुधार कर सकता है. ये बॉडी की इम्‍यूनिटी को बढ़ाने में मदद करता है. स्‍वस्‍थ फेफड़ों के लिए प्रतिदिन 2 से 3 ब्राजील नट्स का सेवन किया जा सकता है.

मुलेठी
मुलेठी का सिर्फ सर्दी व खांसी की समस्‍या को दूर करने के लिए ही नहीं बल्कि सांस संबंधी समस्‍याओं के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है. मुलेठी में पाए जाने वाले कंपाउंड फेफड़ों में जमा होने वाले म्‍यूकस को निकालने में मदद करते हैं. मुलेठी के नियमित इस्‍तेमाल से सांस प्रक्रिया में भी सुधार किया जा सकता है.

(नोट- उपरोक्‍त दी गई जानकारी सामान्य सिर्फ सामान्‍य सूचना और मान्‍यताओं पर आधारित है. हम इसकी पुष्टि नहीं करते है. इन्‍हें अपनाने से पहले सबंधि‍त विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें. )