इंग्लैंड 3 साल के भीतर ही वनडे के बाद टी20 का भी वर्ल्ड चैम्पियन बन गया है. एक दिन पहले उसने टी20 विश्व कप के फाइनल में पाकिस्तान को 5 विकेट से शिकस्त दी. इस मैच में 138 रन के टारगेट का पीछा करते हुए एक वक्त ऐसा लग रहा था कि मैच का पासा किसी भी वक्त पलट सकता है. लेकिन, बेन स्टोक्स अंगद के पैर की तरह क्रीज पर जम गए और टीम को चैम्पियन बनाने के बाद ही मैदान से लौटे.
इंग्लैंड की इस जीत के बाद यह बात साबित हो गई है कि इस वक्त लिमिडेट ओवर क्रिकेट में इंग्लैंड से बेस्ट कोई टीम नहीं. इंग्लैंड ने बाकी टीमों को यह सिखा दिया कि टी20 फॉर्मेट कैसे खेला जाता है. इंग्लैंड ने सेमीफाइनल में भारत और फिर पाकिस्तान को मात देकर टी20 का ताज अपने सिर सजाया. इन दोनों ही टीमों को विश्व कप का दावेदार आंका जा रहा था. लेकिन, इंग्लिश टीम भारत और पाकिस्तान दोनों से ही आगे निकली.
इंग्लैंड की जीत में भारत और पाकिस्तान के लिए भी सबक छिपे हैं. इंग्लैंड की टीम की 3 खूबियां ऐसी हैं, जिसे अपनाकर भारत भी अगले टी20 विश्व कप तक इंग्लैंड जैसी टीम तैयार कर सकता है और जो गलती इस बार हुई, उसे दुरुस्त कर सकता है. आइए जानते हैं कि इंग्लैंड की वो पांच खूबियां क्या हैं? और भारत उन्हें कैसे अपना सकता है, उसके लिए टीम इंडिया को कहां सुधार करना होगा?
टी20 विश्व कप में आयरलैंड से हार के बाद शायद ही किसी ने सोचा होगा कि इंग्लैंड सेमीफाइनल में भी पहुंचेगा. लेकिन, जोस बटलर की सेना ने यह कर दिखाया. इंग्लैंड ने पहले श्रीलंका को हराकर सेमीफाइनल का टिकट कटाया, फिर भारत को अंतिम-4 के मुकाबले में हराया और आखिर में मेलबर्न में मुश्किल में घिरे होने के बावजूद पाकिस्तान को हराकर जीत दर्ज की. पूरे टूर्नामेंट में इंग्लैंड की टीम ने बेखौफ क्रिकेट खेली. पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल में भी उसका रुख ऐसा ही रहा.
138 रन का पीछा करते हुए एलेक्स हेल्स पहले ओवर में ही आउट हो गए थे. इसके बावजूद बटलर ने पावरप्ले में तेजी से रन बटोरने का काम जारी रखा. इंग्लैंड ने पावरप्ले में भले ही तीन विकेट गंवाए. लेकिन, रन 49 बनाए. इसी वजह से इंग्लैंड पर रनों की रफ्तार बढ़ाए रखने का दबाव नहीं रहा और बाद में आए बल्लेबाजों ने 138 रन के टारगेट को हासिल कर लिया.
भारत ने भी पिछले टी20 विश्व कप के बाद इसी एप्रोच से इस फॉर्मेट में खेलना शुरू किया था. इसके नतीजे भी अच्छे मिले थे. लेकिन, इस टी20 विश्व कप में भारत इस सोच के साथ नहीं खेला. खासतौर पर टॉप ऑर्डर के बल्लेबाजों ने इक्का-दुक्का मैच छोड़ दें तो डिफेंसिव सोच के साथ बल्लेबाजी की. जिसका खामियाजा टीम को उठाना पड़ा. भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में पावरप्ले में 38 रन बनाए थे. उसके जवाब में इंग्लैंड ने 63 रन ठोके थे और इसी शुरुआत के दम पर इंग्लैंड ने भारत को 10 विकेट से हरा दिया था.
भारतीय सलामी बल्लेबाजों ने पूरे टूर्नामेंट में 100 से भी कम के स्ट्राइक रेट से रन बनाए. रोहित शर्मा ने करीब 95 और राहुल का स्ट्राइक रेट तो उनसे कम रहा. भारत को अगर टी20 फॉर्मेट में अच्छा करना है, तो फिर इंग्लैंड की इसी आक्रामक एप्रोच को अपनाना होगा.
इंग्लैंड के पास यूटिलिटी प्लेयर्स की भरमार
इंग्लैंड की इस टी20 विश्व कप में सबसे बड़ी ताकत या खूबी कहें तो वो उसकी यूटिलिटी प्लेयर थे. जो गेंदबाजी, बल्लेबाजी के साथ-साथ फील्डिंग भी जबरदस्त करते हैं. पूरे टूर्नामेंट में इंग्लैंड को इसका फायदा मिला. इंग्लैंड के लिए फाइनल में सातवें नंबर पर लियाम लिविंगस्टोन खेलने उतरे थे. अब जिस टीम के पास 7 नंबर पर उनके जैसा पावर हिटर होगा, उसकी ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है. लिविंगस्टोन ने इस टूर्नामेंट में भले ही बहुत ज्यादा रन नहीं बनाए. लेकिन, गेंद और बल्ले से अहम मौकों पर टीम के काम आए. उन्होंने 3 विकेट लेने के साथ 55 रन बनाए.
सेमीफाइनल में भारत के खिलाफ लिविंगस्टोन ने 3 ओवर में 20 रन ही दिए थे. मोईन अली ने भी फाइनल में अहम पारी खेली. इसके अलावा बॉलिंग ऑलराउंडर के तौर पर सैम करेन भी थे, जिन्होंने 13 विकेट लिए. भारत को भी अब इसी तरह ध्यान देना होगा और ऐसे यूटिलिटी प्लेयर डेवलप करने होंगे. भारत के टॉप ऑर्डर को देखें तो केएल राहुल, रोहित शर्मा, विराट कोहली और सूर्यकुमार यादव सिर्फ बल्लेबाजी कर सकते हैं. रोहित, विराट तो गेंदबाजी कर लेते हैं. लेकिन, यह ऐसे गेंदबाज नहीं हैं, जिन पर टी20 विश्व कप जैसे टूर्नामेंट में भरोसा किया जा सके. ऐसे में भारत को हार्दिक पंड्या जैसे खिलाड़ियों को ढूंढना होगा और टी20 फॉर्मेट में इन्हें ज्यादा से ज्यादा मौके देने होंगे.
इंग्लैंड के पास गेंदबाजी में काफी विकल्प
इस टी20 विश्व कप से पहले रीस टॉप्ली, जो इस टूर्नामेंट से पहले टी20 में इंग्लैंड के सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज थे, चोटिल होकर बाहर हो गए. भारत के जसप्रीत बुमराह भी चोट के कारण यह विश्व कप नहीं खेले. इसके बावजूद इंग्लैंड की गेंदबाजी कमजोर नजर नहीं आई. उसके 15 सदस्यीय स्क्वॉड में 10 ऐसे खिलाड़ी थे, जो टी20 फॉर्मेट के लिहाज से ठीक-ठाक गेंदबाजी करने वाले थे. इसमें बेन स्टोक्स, सैम करेन, आदिल रशीद, मोईन अली, मार्क वुड, डेविड विली, टायमल मिल्स, क्रिस जॉर्डन. इसी वजह से बटलर कभी भी इस बात को लेकर दबाव में नजर नहीं आए कि अगर एक गेंदबाज महंगा साबित हुआ तो किसे गेंद थमाए. सेमीफाइनल और फाइनल में यह नजर भी आया. भारत के खिलाफ क्रिस जॉर्डन ने डेथ ओवर में कमाल की गेंदबाजी की.
भारत को भी अपनी टी20 टीम में गेंदबाजी विकल्प बढ़ाने होंगे. भारत के पास एक तरह के गेंदबाज ज्यादा थे. भुवनेश्वर कुमार, अर्शदीप सिंह एक जैसे स्विंग गेंदबाज थे, जिनके पास रफ्तार नहीं थी. भारत के पास स्पिन गेंदबाजी आक्रमण में जरूर विविधिता थी. लेकिन टीम मैनेजमेंट ने रिस्ट स्पिनर युजवेंद्र चहल के स्थान पर आर अश्विन और अक्षर को खिलाया. विविधिता नहीं होने की वजह से रोहित शर्मा सेमीफाइनल में गेंदबाजी में बदलाव नहीं कर पाए. ऐसे में भारत को उमरान मलिक जैसे तेज गेंदबाज को टी20 फॉर्मेट में मौका देना होगा. इसके अलावा डेथ ओवर के स्पेशलिस्ट और नए स्पिन गेंदबाजों जैसे रवि बिश्नोई को मौका देना होगा.