कोरोना संकट से नौकरियां चले जाने या सैलरी कटौती से मध्यम वर्ग काफी परेशान हुआ है. सरकार ने जो करीब 30 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज पिछले साल दिए उसमें से मध्यम वर्ग को कुछ खास नहीं मिला. इसलिए अब मध्यम वर्ग को बजट से काफी उम्मीदें हैं. पर्सनल इनकम टैक्स: कई साल से यह मांग की जा रही है कि बेसिक टैक्स छूट सीमा 2.5 लाख से बढ़ाकर 5 लाख कर देनी चाहिए. सरकार ने साल 2019-20 के बजट में 2.5 से 5 लाख रुपये तक की आय वालों के लिए 12,500 की विशेष छूट देकर 5 लाख तक की आय को करमुक्त करने की कोशिश की है, लेकिन स्थायी रूप से 5 लाख रुपये तक की आय को करमुक्त करने की मांग की जा रही है.
वैसे पिछले साल दो तरह की टैक्स व्यवस्था लागू की गई है, जिसके तहत अगर कोई चाहे तो डिडक्शन आदि का फायदा छोड़ सकता है, लेकिन जानकारों का कहना है कि 13 लाख रुपये से कम सालाना इनकम वालों को नई व्यवस्था अपनाने से नुकसान है, इसलिए ज्यादातर लोग पुराने टैक्स विकल्प को ही चुनेंगे. नई टैक्स व्यवस्था में ज्यादातर डिडक्शन खत्म कर दिए गए हैं. स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट: एक और मांग यह की जा रही है कि स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाया जाए. अभी तक ऐसा डिडक्शन 50 हजार रुपये तक का मिलता है. इसे बढ़ाकर कम से कम 75,000 रुपये करने की मांग की जा रही है. जानकारों का कहना है कि कोरोना संकट की वजह से लोगों ने काफी मुश्किलों का सामना किया है. महंगाई की वजह से इलाज के खर्चे काफी बढ़ गए हैं और वर्क फ्रॉम होम करने की वजह से नौकरीपेशा लोगों का बिजली और अन्य यूटिलिटी पर खर्च लागत काफी बढ़ गया है. इसी तरह आयकर की धारा 80सी के तहत मिलने वाली छूट को बढ़ाकर 1.5 से 3 लाख रुपये तक करने की मांग की जा रही है.
वर्क फ्रॉम होम वालों को फायदा: कोरोना संकट के बीच वर्क फ्रॉम होम न्यू नॉर्मल बन गया है. इसकी वजह से तमाम नौकरीपेशा लोगों का खर्च बढ़ गया है.जानकार कहते हैं कि कर्मचारियों के अतिरिक्त खर्चों को बहुत सी कंपनियों ने रीइम्बर्स किया है, लेकिन ऐसे रीइम्बर्समेंट पर टैक्स लगता है. इसलिए यह उम्मीद की जा रही है कि ऐसे रीबेट यानी डिडक्शन की व्यवस्था की जाएगी ताकि ऐसे खर्चों पर टैक्स की बचत हो सके. होम लोन पर अतिरिक्त टैक्स राहत: जानकारों का कहना है कि होम लोन पर मिलने वाले टैक्स छूट का दायरा बढ़ाया जा सकता है. आयकर की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक की सीमा में होम लोन का मूलधन आता है. इस सीमा को बढ़ाया जा सकता है. इसी तरह धारा 24 बी के तहत 2 लाख रुपये के ब्याज भुगतान पर टैक्स छूट का फायदा मिलता है, इसे भी बढ़ाए जाने की उम्मीद है.
हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर छूट: कोरोना महामारी ने हेल्थ इंश्योरेंस का महत्व लोगों को समझा दिया है और इसके प्रति जागरूकता बढ़ी है. बहुत सी कंपनियां अनिवार्य रूप से अपने कर्मचारियों को हेल्थ इंश्योरेंस कवर देती हैं. आयकर की धारा 80 डी के मुताबिक सामान्य तौर पर किसी व्यक्ति के अपने और परिवार के लिए 50 हजार रुपये तक के प्रीमियम को टैक्स फ्री रखा जाता है. पेरेंट्स सीनियर सिटीजन हैं तो यह 75 हजार और सभी सीनियर सिटीजन हैं तो अधिकतम 1 लाख रुपये तक के प्रीमियम को टैक्स फ्री रखा जाता है. लेकिन ज्यादातर लोग 50 हजार रुपये तक के प्रीमियम पर छूट का फायदा उठा पाते हैं.
अब हेल्थ खर्च काफी बढ़ गए हैं, इसलिए अपने परिवार के लिए अच्छे हेल्थ कवर के साथ बीमा लेते हैं और इसके लिए साल में उन्हें अच्छी रकम प्रीमियम के रूप में देनी पड़ती है. इसकी वजह से ऐसी उम्मीद की जा रही है कि बजट में धारा 80डी के तहत बीमा प्रीमियम पर मिलने वाली टैक्स छूट की ऊपरी सीमा को बढ़ाया जा सकता है. खासकर 50 हजार वाले वर्ग के लिए इसे बढ़ाकर 75 हजार रुपये तक करने की मांग की जा रही है. जानकारों का कहना है कि टीकों और स्वास्थ्य के बारे में जो सुधार के उपाय किए जाएंगे, उसका मध्यम वर्ग को फायदा होगा. कई नए अस्पतालों की स्थापना का ऐलान किया जा सकेगा. एक्सपर्ट का कहना है कि बजट में रोजगार सृजन पर जोर दिया जाएगा और इसका भी फायदा मध्यम वर्ग के युवाओं को मिलेगा.