1 फरवरी को पेश होने जा रहे केंद्रीय बजट में रक्षा बजट इस बार बढ़ सकता है। ये उमीद इसलिए भी है क्योंकि लद्दाख में भारत-चीन के बीच बढ़ रहे तनाव के मद्देनजर भारतीय सेना को और मजबूत होने के लिए उठाए गए कदमों में खर्च का अनुमान बढ़ सकता है। गत वर्ष के रक्षा बजट में 3.37 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जबकि इससे पिछले साल यह 3.18 लाख करोड़ रुपये था। इसबार इसके ज्यादा बढ़ने के अनुमान हैं।
यदि पड़ोसी देश चीन से टकराव के हालात बनते हैं तो जाहिर है कि डिफेंस को भारी-भरकम सरकारी मदद की जरूरत पड़ेगी। हालांकि इसका ऐन मौके तक इंतजार नहीं किया जा सकता है क्योंकि रक्षा उपकरणों को डवलप करने और उनकी खरीदी में समय काफी लगता है। कुल मिलाकर चीन से निपटने के लिए सैन्य क्षमता बढ़ाना जरूरी है। देखने वाली बात ये है कि लद्दाख में तनाव के चलते वहां सेना को काफी तैयार करना पड़ा। गर्म कपड़े, गोला बारूद के साथ ही छोटे हथियार भी इमर्जेंसी में खरीदने पड़े। अब आने वाले समय में इस लद्दाख में हर हाल में मोर्चे की निगरानी करनी पड़ सकती है।
मेक इन इंडिया पर जोर :
इस बार माना जा रहा है कि डिफेंस सेक्टर में भी सरकार मेक इन इंडिया पर जोर देगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसके संकेत 2020 में ही दे दिए थे। उन्होंने ऑटोमैटिक रूट के जरिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सीमा को 49 फीसद से बढ़ाकर 74 फीसद करने का ऐलान किया था।