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पृथ्वी के अलावा इस ग्रह पर मिला मशरूम, जानें वैज्ञानिकों ने क्या कहा

पिछले कुछ वषों से मंगल ग्रह लगातार चर्चा में बना हुआ है। नासा तो मंगल ग्रह पर जीवन तलाश ही रहा है साथ ही चीन और अमेरिका जैसे देश भी इस ग्रह पर लगातार मिशन भेज रहे हैं। एलन मस्क ने कहा है कि अगले पांच वर्षों में मंगल ग्रह पर इंसानों को भेजना चाहूंगा। वहीं अब मंगल ग्रह को लेकर कुछ वैज्ञानिकों ने एक दावा किया है।

बता दें चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंस के माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉक्टर ज़िनली वी, हार्वर्ड स्मिथसोनियन के एस्ट्रोफिजिसिस्ट डॉ रुडोल्फ श्क्लिड और डॉक्टर ग्रैबियाल जोसेफ ने कहा है कि उन्हें इस ग्रह पर मशरूम मिले हैं। उन्होंने ये बड़ा दावा नासा के क्यूरोसिटी रोवर द्वारा जारी की गई तस्वीरों पर अध्ययन करने के बाद किया है।

mushroom on marsज्ञात हो कि क्यूरोसिटी रोवर एक ऐसा डिवाइस है जिसे दूसरे ग्रहों की सतह पर चलाकर अध्ययन किया जाता है। इससे पहले 6 अगस्त 2012 को मंगल ग्रह की सतह पर पहुंच गया था और ये अब भी मंगल ग्रह पर सक्रिय है और लगातार नासा को तस्वीरें और अध्ययन की सामग्री उपलब्ध करा रहा है।

mushroom on marsअसल में, इन फोटोज में इस ग्रह के उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्ध पर काले मकड़ियों जैसे आकार वाले चैनल्स को साफ़ तौर पर देखा जा सकता है। हालांकि नासा के अनुसार ये कार्बन डाइऑक्साइड आइस के हिमद्रवण के चलते हुआ है मगर इन वैज्ञानिकों की टीम ने बताया है कि ये फंगी, काई और शैवाल की कॉलोनी हैं जिससे पता चलता है कि मंगल ग्रह पर जीवन की पूरी संभावना है।

mushroom on marsवैज्ञानिकों ने दावा किया है कि ये मशरुम कुछ दिनों, सप्ताह और महीनों के अंतराल में गायब हो जाते हैं और फिर पुनः वापस आ जाते हैं। अप्रैल 2020 में भी आर्मस्ट्रॉन्ग और जोसेफ ने एक ऐसा ही अध्ययन गेट रिलीज की थी जिसमें दावा किया था कि मंगल ग्रह पर मशरूम स्वतः उगते हैं। इन तीनों वैज्ञानिकों के दावों को लेकर साइंटिफिक ग्रुप बेहद अधिक उत्साहित नहीं है।

mushroom on marsऐसा इसलिए है क्योंकि इसमें इन वैज्ञानिकों की विवादास्पद छवि भी शामिल है। असल में, साल 2014 में जोसेफ ने नासा पर केस किया था और कहा था कि वे एक बायोलॉजिकल जन्तु पर अध्ययन नहीं कर रहे हैं जो उन्होंने ऑपरचूनिटी रोवर की फोटोज में देखा है। हालांकि बाद में पता चला की वो कोई जन्तु नहीं बल्कि एक चट्टान थी।

mushroom on marsमालूम हो कि मंगल ग्रह कई मायनों में पृथ्वी से मिलता है और यह ग्रह इंसानों के लिए हमेशा से कौतूहल का विषय बना रहा है। अगर पृथ्वी से तुलना करें तो मंगल ग्रह पर 38 प्रतिशत ग्रैविटी है। इस ग्रह पर साल में 687 दिन होते हैं। वही इस ग्रह पर एक दिन 24 घंटे और 40 मिनटों का होता है। मंगल ग्रह की सतह पर कार्बन डाइऑक्साइड की बहुलता और पानी की कमी ने जीवन के इकोसिस्टम को और भी चुनौतीपूर्ण बना दिया है।

यदि चुनौतियों की बात करें तो इस ग्रह पर कार्बन डायऑक्साइड और मीथेन गैस बहुत अधिक मात्रा में है। साथ ही इस ग्रह की मिट्टी में भी कुछ ऐसे कंपाउंड्स हैं जो जीवन को बेहद मुश्किल बना देंगे। इस ग्रह पर पानी तो मौजूद है मगर वो इस ग्रह की सतह के नीचे है।

आपको बता दें कि नासा ने क्यूरोसिटी की सफलता के बाद पर्सीवेरेंस नाम का रोवर भी साल 2021 में मंगल ग्रह की सतह पर भेज चुका है। नासा का दावा है कि वे साल 2030 के आसपास मंगल ग्रह पर इंसानों को भेजने में सफल हो जायेंगे। वही स्पेस एक्स के मालिक एलन मस्क ने कहा कि वे साल 2026 में ही इंसानों को मंगल ग्रह पर भेज देंगे।