14 फरवरी 2019 के पुलवामा हमले (Pulwama attack) के 10 दिनों के भीतर आतंकी (terrorists) ऐसा ही एक और बड़ा अटैक करने वाले थे लेकिन, भारतीय सुरक्षाबलों ने दो पाकिस्तानियों (Pakistanis) समेत तीन आतंकियों को मारकर इस आत्मघाती हमले को नाकाम कर दिया था। यह खुलासा पूर्व चिनार कॉर्प्स लेफ्टिनेंट जनरल (रिटा.) केजेएस ढिल्लों (KJS Dhillon) ने अपनी किताब ‘कितने गाजी आए, कितने गाजी गए’ में किया है। अपनी किताब में वो लिखते हैं कि 24 फरवरी की रात को अंजाम दिये इस ऑपरेशन में डीएसपी अमन कुमार ठाकुर और नायब सूबेदार सोमबीर ने अदम्य साहस दिखाया और शहीद हो गए। अगर यह ऑपरेशन सफल नहीं होता तो यह हमारे लिए बड़ी आपदा होती।
पूर्व चिनार कॉर्प्स लेफ्टिनेंट जनरल (रिटा.) केजेएस ढिल्लों की किताब का जयपुर में विमोचन हुआ। इस किताब “कितने गाजी आए, कितने गाजी गए” में पुलवामा अटैक को लेकर बड़ा खुलासा किया गया है। किताब में ढिल्लों ने लिखा है कि मुख्य हमला 14 फरवरी 2019 को हुआ था जब एक आत्मघाती हमलावर ने अपने वाहन को सीआरपीएफ के काफिले की बस से टकरा दिया था जिसमें 40 कर्मियों की जान चली गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे। पुलवामा की घटना के बाद खुफिया एजेंसियों, जम्मू कश्मीर पुलिस और भारतीय सेना ने अपने अभियान तेज कर दिए थे और दक्षिण कश्मीर इलाके में जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के नेटवर्क में घुसपैठ कराने में बेहद सफल रहे थे। तभी हमें पता लगा कि पुलवामा जैसा ही हमला फिर होने वाला है।
24 फरवरी को तय हुई ऑपरेशन की तारीख
अपनी किताब में वो लिखते हैं कि एजेंसियां लगातार पुलवामा जैसे हमले के बारे में जानकारी जुटा रही थी। तुरीगाम गांव में जैश आतंकवादियों के इस मॉड्यूल की मौजूदगी के बारे में खुफिया जानकारी हासिल हुई, जहां वे हमले की योजना बना रहे थे। तब कुलगाम में तैनात जम्मू-कश्मीर पुलिस के पुलिस उपाधीक्षक अमन कुमार ठाकुर ने स्थानीय राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) इकाई के साथ आतंकवादियों के बारे में इनपुट हासिल किया। ढिल्लों के मुताबिक, सेना और अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने 24 फरवरी 2019 की रात को एक संयुक्त ऑपरेशन की योजना बनाई। प्लानिंग हर पहलुओं को ध्यान में रखकर की गई, क्योंकि हम इस ऑपरेशन के फेल होने का जोखिम नहीं उठा सकते थे।
ऑपरेशन के हीरो डीएसपी ठाकुर और नायब सूबेदार सोमबीर
ढिल्लों लिखते हैं, “चुपके और तेजी के साथ काम करते हुए संयुक्त टीम तीन आतंकियों को ट्रैक करने में सफल रही। ऑपरेशन के दौरान डीएसपी ठाकुर ने भारतीय सेना के एक जवान बलदेव राम को आतंकवादी गोलियों की चपेट में आते देखा। ठाकुर ने अपनी सुरक्षा की परवाह न करते हुए घायल सैनिक को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया, लेकिन एक छिपे हुए स्थान से एक आतंकवादी द्वारा चलाई गई गोली से खुद घायल हो गए। दुर्लभ साहस और फौलादी दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन करते हुए ठाकुर बाद में आतंकवादी के पास पहुंचे और उसे करीब से घेर लिया और एक भयंकर गोलाबारी में उसका सफाया कर दिया।
मारे गए आतंकवादी की पहचान जैश-ए-मोहम्मद आतंकवादी समूह से संबंधित पाकिस्तान निवासी नोमान के रूप में हुई। ढिल्लों ने 34 आरआर के नायब सूबेदार सोमबीर द्वारा दिखाई गई वीरता का भी उल्लेख किया है। जिन्होंने एक पाकिस्तानी आतंकवादी ओसामा को एक करीबी बंदूक की लड़ाई में मार गिराया और देश के लिए अपना बलिदान दिया।
डीएसपी ठाकुर और नायब सूबेदार सोमबीर दोनों को ऑपरेशन में अपने प्राणों की आहुति देने वाले अदम्य साहस और वीरता के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। तुरीगाम गांव क्षेत्र में इस ऑपरेशन की सफलता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, ढिल्लों का कहना है कि “अगर इन आतंकवादियों को पुलवामा के 10 दिन बाद बेअसर नहीं किया गया होता, तो यह बहुत बड़ी आपदा होती।”