माफिया अतीक अहमद (Mafia Ateeq Ahmed) और उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ की हत्या के बाद नजरें एक ओर डॉन मुख्तार अंसारी (Don Mukhtar Ansari) पर हैं। शनिवार को ही एमपी-एमएलए कोर्ट ने मुख्तार को गैंगस्टर एक्ट में 10 साल की सजा सुनाई है। अब गाजीपुर के एक पूर्व पुलिस अधिकारी का दावा है कि अतीक से ज्यादा खतरनाक मुख्तार है। खास बात है कि मुख्तार कभी अतीक की ही पुराने जिप्सी वाहन में सवार होकर घूमता था।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गाजीपुर के पूर्व एडिशनल एसपी शंकर जयसवाल (Former Additional SP Shankar Jaiswal) मुख्तार को अतीक से भी ज्यादा खतरनाक बता रहे हैं। उनका कहना है कि वह बेहद शातिर है और अपनी बात से पलट सकता है। उन्होंने करीब 27 साल पुरानी एक घटना का जिक्र किया और बताया कि किस तरह से मुख्तार ने पुलिस पर फायरिंग कर दी थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, वह बताते हैं कि 27 फरवरी 1996 में डिग्री कॉलेज के छात्रसंघ चुनाव का दौर चल रहा था। उस दौरान पुलिस को पता चला कि एक वाहन में असलहे लेकर कुछ लोग घूम रहे हैं और माहौल खराब किए जाने की आशंका जताई गई। जांच के दौरान पुलिस ने एक जीप को रोका, जिसपर बहुजन समाज पार्टी जिलाध्यक्ष लिखा हुआ था।
उन्होंने बताया कि इसी वाहन में मुख्तार भी था और जांच की बात से वह तिलमिला गया था। तभी उसने गोलीबारी शुरू कर दी। हालांकि, इसके जवाब में पुलिस ने भी बंदूक का सहारा लिया और मुख्तार के एक साथी को घायल कर दिया। साथ ही उसकी जीप भी पंचर हो गई थी, लेकिन मुख्तार उसे लेकर भागने में सफल रहा।
साथ घूमते थे पुलिसकर्मी
कहा जा रहा है कि मुख्तार गाय, भैंस और हथियारों के लाइसेंस के जरिए सिपाहियों को अपने साथ शामिल कर लेता था। 1996 में भी पुलिस की कार्रवाई में घायल हुए मुख्तार के साथी को जब अस्पताल पहुंचाया, तो पता चला कि वह गाजीपुर जेल का सिपाही था। पुलिस को मुख्तार की गाड़ी से एक और सिपाही की बंदूक मिली थी।
चलाता था अतीक की पुरानी जिप्सी
मुख्तार को गाड़ियों का बड़ा शौक था। उसके काफिले में भी कई बड़े वाहन शामिल थे। खास बात है कि इसी काफिले में एक जिप्सी वाहन भी था, जिसका पहला मालिक अतीक अहमद था। हालांकि, खबर है कि अहमद ने 29 अक्टूबर को सुरेश चंद शुक्ला नाम के शख्स को इस गाड़ी को बेच दिया दिया था।