प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में हुई गंभीर चूक की जांच के लिए पंजाब सरकार ने अपनी प्राइमरी रिपोर्ट केंद्र को भेज दी है। इसमें पंजाब सरकार की अब तक की कार्रवाई की जानकारी दी गई है। पंजाब सरकार ने केंद्र को बताया है कि रिटायर्ड जस्टिस महताब सिंह गिल और गृह और कानून मामलों के प्रधान सचिव अनुराग वर्मा के इस बात की सघन जांच करेंगे कि आखिर प्रधानमंत्री की सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक कैसे हुई।
पंजाब सरकार ने जो प्राइमरी रिपोर्ट केंद्र को भेजी है, उसमें प्रदर्शनकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की बात कही गई है। इसमें बताया गया है कि फिरोजपुर पुलिस ने अलग अलग धाराओं में एफआईआर दर्ज की है।
इस बीच पीएम की सुरक्षा चूक पर संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) का बयान आया है। संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि किसान शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे और उन्होंने पीएम के काफिले की ओर जाने की कोशिश नहीं की। ये पंजाब और किसान आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश है।
भारतीय किसान यूनियन क्रांतिकारी संगठन के चीफ का दावा कि उनके संगठन ने ही पीएम मोदी का काफिला रोका था। संगठन के चीफ सुरजीत सिंह फूल ने दावा किया कि उन्हें एसएसपी फिरोजपुर से पीएमोदी के रूट की जानकारी मिली थी।
पीएम की सुरक्षा चूक की जांच पर गृहमंत्रालय ने भी कमेटी बना दी है। सचिव (सुरक्षा) की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय कमेटी बनी है। इस बीच प्रधानमंत्री की सुरक्षा चूक की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी खुद चीफ जस्टिस एनवी रमना की बेंच सुनवाई करेगी।
पीएम की सुरक्षा में एक दिन का खर्चा होता है डेढ़ करोड़ से ज्यादा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी भी राज्य में जाते हैं तो उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्रीय एजेंसी और राज्य पुलिस पर होती है। लोकसभा में दी गई लिखित जानकारी के मुताबिक पीएम की सुरक्षा में एक दिन का खर्चा डेढ़ करोड़ से ज्यादा का होता है।
जो चार एजेंसियां पीएम मोदी के रूट की जानकारी रखती हैं वो SPG, ASL, राज्य पुलिस और स्थानीय प्रशासन हैं। एसपीजी की जिम्मेदारी पीएम मोदी की सुरक्षा करना होता है। कोई भी शख्स एसपीजी के सुरक्षा घेरे को तोड़कर पीएम के पास नहीं पहुंच सकता। वहीं एडवांस सिक्योरिटी संपर्क टीम यानि ASL को प्रधानमंत्री के दौरे से जुड़ी हर जानकारी होती है। केंद्रीय एजेंसियों के अधिकारी ASL की मदद से प्रधानमंत्री के दौरे की निगरानी रखते हैं। अब तीसरा नंबर उस राज्य की पुलिस का आता है, जहां पीएम जाते हैं। राज्य पुलिस ही क्लीयरेंस देती है कि पीएम का काफिला उस रूट पर जा सकता है या नहीं यानि सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य पुलिस पर रहती है। जबकि स्थानीय पुलिस पीएम के दौरे के समय रूट से लेकर कार्यक्रम स्थल की सुरक्षा देखती है।