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पाकिस्तान में महंगाई की मार, चिकन खाना तो दूर आटे लिए पड़े लाले

आर्थिक संकट (Economic Crisis) से जूझ रहे पाकिस्तान (Pakistan) में इस समय आम जनता की हालात खराब होती जा रही है। पाकिस्तान में कमरतोड़ महंगाई (backbreaking inflation in pakistan) और अर्थव्यवस्था में गिरावट (economy down) के बीच खाद्य चीजों की कीमतों में दोगुना इजाफा हो गया। लोगों के लिए चिकन खाना तो दूरी की बात आटा भी खरीदना मुश्किल हो रहा है। पाकिस्तान की स्थिति को देख लोग इसे दूसरा श्रीलंका बता रहे हैं।

बता दें कि श्रीलंका (Srilanka) में आर्थिक स्थिति (Economic Situation) खराब होने के बाद वहां के लोग महंगाई से परेशान होकर सड़क पर उतर आए थे और राष्ट्रपति भवन तक घुस गए थे। पाकिस्तान के बिगड़ते हालातों के बीच राजनेता आपस में ही लड़ रहे हैं, जिसका असर आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।

पाकिस्तान में लोगों के लिए LPG और चिकन तक खरीदना मुश्किल हो गया है। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में चिकन 650 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है, वहीं एलपीजी गैस के दाम भी आसमान छू रहे हैं। यह आम इंसान की पहुंच से बाहर हो गई है, इसलिए कई लोग इसे प्लास्टिक बैग्स में स्टोर करने के लिए मजबूर हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल लगभग 4400 करोड़ डालर के आयात बिल की तुलना में अक्टूबर 2022 को समाप्त दस महीनों में देश का कुल आयात बिल 46.51 फीसद बढ़कर 6500 करोड़ डालर हो गया है।

खाद्य आयात बिल में भारी इजाफे के परिणामस्वरूप वनस्पति घी और खाना पकाने के तेल की घरेलू कीमत में दोगुनी तेजी देखी गई है। विशेष रूप से सोयाबीन तेल के आयात मूल्य में 101.96 फीसदी की वृद्धि हुई है। गेहूं का आयात पिछले वर्ष के 3.61 मिलियन टन से 19.12 फीसद घटकर 2.206 मिलियन टन रह गया है। पाकिस्तान में अप्रैल में एक दाना गेहूं आयात नहीं हुआ है। साथ ही चाय, मसालों और दालों के आयात बिल में भी तेजी से उछाल आया है।

खाद्य संकट पर जारी वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा और सिंध प्रांत में भोजन की काफी कमी हो गई है। खाद्य और ईंधन की कीमत में वृद्धि, सूखे की स्थिति, पशुओं की बीमारियों और बेरोजगारी की समस्या ने महंगाई को चरम पर पहुंचा दिया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पुनरुद्धार कार्यक्रम में देरी के चलते विदेशी मुद्रा भंडार और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। इससे देश की अर्थव्यवस्था और भी चरमरा गई।

आयात बिल में तेज वृद्धि के परिणामस्वरूप पाकिस्तान में व्यापार घाटा बढ़ गया है। इससे सरकार पर बाहरी देनदारी का दबाव भी बढ़ा है। इसके अलावा, पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो द्वारा जारी आंकड़ों से पता चला है कि पेट्रोलियम उत्पादों के आयात मूल्य में 121.15 फीसद की वृद्धि हुई है। दूसरी ओर कच्चे तेल के आयात मूल्य में 75.34 फीसद की वृद्धि देखी गई है।

पाकिस्तान में आयात बिल आने वाले महीनों में और बढ़ने की संभावना है, क्योंकि सरकार ने लगभग 40 लाख टन गेहूं और 6 लाख टन चीनी आयात करने का फैसला किया है। इस बीच मूल्य और मात्रा दोनों के मामले में खाद्य तेल के आयात में भी लगातार वृद्धि हुई। ताड़ के तेल आयात बिल का मूल्य भी अक्टूबर 2022 को समाप्त दस महीनों में 44.64 फीसद बढ़कर 300 करोड डालर हो गया है।
वहीं रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में बाढ़ (Flood In Pakistan) से हुए भारी नुकसान की भरपाई नहीं हो पा रही। सरकार को सहायता के लिए UN (संयुक्त राष्ट्र), विश्व बैंक और अमेरिका ने भी मदद की, लेकिन फिर भी बाढ़ पीड़ितों को सुविधाएं नहीं मिल पाई हैं। सरकार स्थिति को ठीक करने में पूरी तरह से विफल होती नजर आ रही है, जिससे जन आक्रोश भी बढ़ रहा है।