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पाकिस्तान बेकाबू, ग्रेटर अफगानिस्तान आंदोलन हुआ तेज

ग्रेटर अफगानिस्तान की मांग करते हुए अफगान नागरिकों ने पाकिस्तान से लगती सीमा डूरंड रेखा को विवादित करार दिया है। इस विवादित सीमा की वजह से सांस्कृतिक रूप से एक कहे जाने वाले पश्तून और बलूच समुदाय को अफगानिस्तान व पाकिस्तान में बंट कर रहना पड़ रहा है। इसके खिलाफ लाखों पश्तूनों ने मांग उठाई है। वहीं पाकिस्तान के लिए अस्तित्व का संकट पैदा हो गया है।

पश्तून और बलूच समुदाय को बांट रही ‘डूरंड रेखा’ पर बवाल

अफगान टाइम्स ने रिपोर्ट में दावा किया इस मुद्दे का परिणाम पाकिस्तान के विघटन के रूप में सामने आ सकता है। आंदोलन को ‘पश्तूत तहफुज मूवमेंट’ (पीटीएम) नाम से मंजूर अहमद पश्तीन जैसे नेताओं द्वारा खड़ा किया गए है। मांग है कि ग्रेटर अफगानिस्तान की स्थापना के लिए दोनों देशों की सरहद पर रह रहे पश्तून व बलूच नागरिकों को एक करना होगा। अनुमान है कि अगर मांग और मुखर हुई तो पाकिस्तान में गृहयुद्ध या क्रांति हो सकती है। पाकिस्तान की सेना ने अफगानिस्तान सरकार को पीटीएम को प्रायोजित करने का आरोप लगाया है।

पाकिस्तान का 60 प्रतिशत हिस्सा जाएगा

पाकिस्तान का कुल 60 प्रतिशत भू-भाग डूरंड रेखा के विवादित क्षेत्र में है। आंदोलन सफल रहा तो पाकिस्तान छोटा सा देश बन कर रह जाएगा। अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने हाल में कहा था, पाकिस्तान द्वारा डूरंड रेखा के क्षेत्रों में हमले करना दरअसल अफगान लोगों को दबाने का तरीका है। वह चाहता है कि लोग इसी को वास्तविक सीमा मान लें।

अंग्रेजों ने बनाई थी डूरंड रेखा

1993 में अंग्रेज नौकरशाह सर हेनरी मोर्टिमर डूरंड ने अफगान अमीर अब्दुल रहमान खान के साथ मिलकर यह सीमा तैयार की थी। इसके आधार पर ब्रिटिश भारत और अफगान राजतंत्र के बीच कूटनीतिक संबंध बने। हालांकि लोगों ने इसका विरोध किया।