पूर्वी लद्दाख के वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत-चीन के बीच तनाव की स्थिति जारी है। इसे दूर करने के लिए वार्ता का सहारा लिया जा रहा है, मगर जमीनी स्तर पर इसके सकारात्मक नतीजे उभरकर सामने नहीं आ रहे हैं। वहीं, अब इस संदर्भ में केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर प्रसाद ने विस्तृत बयान दिया है। उन्होंने कहा, ‘अभी भारत और चीन के बीच रिश्ते अपनेे सबसे कठीन दौर से गुजर रहे हैं। तमाम कोशिशों के बावजूद इसके सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आ रहे हैं। बता दें कि मौजूदा समय में दोनों ही देशों ने सीमा पर 50 हजार से भी अधिक सैनिकों को तैनात कर रखे हैं, जिसके चलते दोनों देशों के बीच तनाव जारी है। उधर, बीते दिनों चीन ने भारत के साथ एक शर्त पर तनाव को दूर करने की पहल की थी, मगर भारत ने चीन के इस रूख से खफा होते हुए इस प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया। दरअसल, चीन का कहना था कि भारत चोटियों पर अपने सैनिकों को हटाएं, अगर भारत ऐसा करता है, तो फिर इस तनाव को दूर करने की पहल करेंगे, मगर भारत ने चीन के इस शर्त को मानने से इनकार कर दिया।
उधऱ, भारत चीन के बीच जारी तनाव के मद्देनजर विदेश मंत्री एस जयशंकर प्रसाद ने अपनी पुस्तक ‘द इंडिया वे :स्ट्रटेजीस फॉर एन अनसर्टेन वर्ल्ड’ पर आयोजित वेबिनार में कहा कि दोनों ही मुल्क के बीच जारी यह तनाव आज सबसे कठीन विषय बनकर उभर रहा है। जो 1980 के दशक के अंत से व्यापार, यात्रा, पर्यटन तथा सीमा पर शांति के आधार पर सामाजिक गतिविधियों के माध्यम से सामान्य रहे हैं।
दरकार शांति की
वहीं, केंद्रीय विदेश मंत्री ने कहा कि सीमा पर शांति की जरूरत है, जिसकी पूर्ति न होने नतीजे संजीदा हो सकते हैं। जयशंकर ने कहा, ‘हमारा यह रूख नहीं है कि हमें सीमा के सवाल का हल निकालना चाहिए। इसके लिए विभिन्न स्तर पर बातचीत जारी है। उन्होंने कहा कि अगर सीमा रेखा पर तनाव की स्थिति जारी रही तो इसका सीधा असर दोनों देशों के रिश्ते पर पड़ेगा।