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देश भर के दर्जनभर उम्मीदवारों ने किया चुनाव आयोग का रुख, EVM-VVPAT के मेमोरी वेरिफिकेशन की लगाई गुहार

देश में लोकसभा चुनाव हाल ही में संपन्न हुए हैं। इस चुनाव में कई दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा है। वहीं अब चुनाव में हार का सामना करने वाले करीब एक दर्जन उम्मीदवारों ने चुनाव आयोग को आवेदन देकर ईवीएम में दर्ज वोटिंग के आंकड़े और वीवीपैट की पर्चियों के मिलान यानी मेमोरी वेरिफिकेशन कराने की गुहार लगाई गई है।

अधिकतर अर्जियों में एक से तीन बूथों की मशीनों के मिलान की अर्जी हैं। सिर्फ ओडिशा के झाड़सुगुड़ा विधानसभा क्षेत्र से हारीं बीजेडी उम्मीदवार दीपाली दास ने सबसे ज्यादा 13 मशीनों की मेमोरी वेरिफाई करने की अर्जी दी है।

जिन लोगों ने ऐसे आवेदन दिए हैं, उनमें महाराष्ट्र के अहमदनगर लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार सुजय राधाकृष्ण विखेपाटिल भी शामिल हैं। इन्होंने विधानसभा क्षेत्रवार ईवीएम यूनिट की जांच की मांग की है। शरद पवार की एनसीपी के नीलेश ज्ञानदेव लंके ने उन्हें 28929 मतों से हराया है। इनके अलावा ओडिशा में झारसुगुड़ा से बीजू जनता दल की उम्मीदवार दीपाली दास ने भी ऐसी ही मांग की है। वह भाजपा के टंकधर त्रिपाठी से लोकसभा चुनाव 1265 वोटों से हार गई थीं।

दास इस सीट से कई बार सांसद रह चुकी हैं। उन्होंने करीब एक दर्जन ईवीएम-वीवीपैट मशीनों की जांच की मांग की है। उन्होंने कहा है कि कुल 19 राउंड की गिनती में 17वें राउंड तक वह आगे चल रही थीं लेकिन अचानक आखिरी दो राउंड की गिनती में वह पिछड़ गईं। यह उन्हें रास नहीं आ रहा है। ईटी से बातचीत में दास ने यह पुष्टि की है कि उन्होंने 13 मशीनों के सत्यापन की मांग चुनाव आयोग से की है। छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड जहां भाजपा ने क्लीन स्वीप किया है, से एक भी ऐसे आवेदन आयोग को नहीं मिले हैं।

बता दें कि लोकसभा चुनावों के दौरान 26 अप्रैल के अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने सभी ईवीएम-वीवीपैट पर्चियों के मिलान की अर्जी खारिज करते हुए कहा था कि मतगणना के सात दिनों के अंदर उम्मीदवार प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के अधिकतम 5 फीसदी ईवीएम मशीनों की जांच का आवेदन चुनाव आयोग को दे सकते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा था कि ऐसे आवेदन केवल उपविजेता और दूसरे नंबर के उप विजेता द्वारा ही दायर किया जा सकता है।