हिमाचल प्रदेश और देश के लिए आज बहुत बड़ा दिन है। दस हजार फीट की ऊंचाई पर बनी अटल टनल रोहतांग पीएम नरेंद्र मोदी ने आज देश को समर्पित की। पीएम मोदी के हेलिकॉप्टर सासे हेलीपैड पर लैंड किया। यहां पहुंचने पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सीएम जयराम ठाकुर और हिमाचल सरकार के मंत्रियों व सांसदों ने पीएम मोदी का स्वागत किया।
इसके बाद वह अटल टनल रोहतांग के साउथ पोर्टल पर पहुंचे और करीब 10 बजे अटल टनल रोहतांग का लोकार्पण किया। पीएम नरेंद्र मोदी सुबह 9 बजे मनाली पहुंच गए थे। इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी मौजूद रहे।
उद्घाटन के बाद पीएम मोदी ने नॉर्थ पोर्टल में निगम की बस को हरी झंडी दिखाकर 15 बुजुर्ग यात्रियों को साउथ पोर्टल की तरफ रवाना किया। जिसके बाद टनल में यातायात शुरू हो गया।
इस सुरंग की खासियत ये है कि अब मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर कम हो जाएगी। साथ ही दोनों जगहों के बीच सफर का समय करीब 4 से 5 घंटे की घट गया है। रोहतांग टनल से लोग अब मनाली से केलांग भी मात्र डेढ़ घंटे में पहुंच सकेंगे। दरअसल, अटल सुरंग दुनिया में सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग है और 9.02 लंबी सुरंग मनाली को सालों भर लाहौल स्पीति घाटी से जोड़े रखेगी। पहले घाटी छह महीने तक भारी बर्फबारी के कारण शेष हिस्से से कटी रहती थी। सुरंग को हिमालय के पीर पंजाल की पर्वत श्रृंखलाओं के बीच अत्याधुनिक विशिष्टताओं के साथ समुद्र तल से करीब तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर बनाया गया है।
अटल सुरंग का दक्षिणी पोर्टल मनाली से 25 किलोमीटर की दूरी पर 3060 मीटर की ऊंचाई पर बना है जबकि उत्तरी पोर्टल 3071 मीटर की ऊंचाई पर लाहौल घाटी में तेलिंग, सीसू गांव के नजदीक स्थित है। घोड़े की नाल के आकार वाली दो लेन वाली सुरंग में आठ मीटर चौड़ी सड़क है और इसकी ऊंचाई 5.525 मीटर है।
अटल सुरंग की डिजाइन प्रतिदिन तीन हजार कार और 1500 ट्रक के लिए तैयार की गई है जिसमें वाहनों की अधिकतम गति 80 किलोमीटर प्रति घंटे होगी। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने रोहतांग दर्रे के नीचे सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस सुरंग का निर्माण कराने का निर्णय किया था और सुरंग के दक्षिणी पोर्टल पर संपर्क मार्ग की आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गई थी।
मोदी सरकार ने दिसम्बर 2019 में पूर्व प्रधानमंत्री के सम्मान में सुरंग का नाम अटल सुरंग रखने का निर्णय किया था, जिनका निधन पिछले वर्ष हो गया। इस सुरंग से हर रोज 3000 कार और 1500 ट्रक 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आ जा सकेंगे। सुरंग में अग्नि शमन, रोशनी और निगरानी के व्यापक इंतजाम किये गए हैं।
रोहतांग दर्रे के नीचे यह ऐतिहासिक सुरंग बनाने का निर्णय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में तीन जून 2000 में लिया गया था। इसकी आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गई और इसके बाद से सीमा सड़क संगठन सभी प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद इसे पूरा करने में जुटा था। सेरी नाला फाल्ट जोन में 587 मीटर क्षेत्र में सुरंग बनाने का काम सबसे चुनौतीपूर्ण था और इसे 15 अक्टूबर 2017 को पूरा किया गया।
प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी ने 2014 में निमार्ण स्थल का दौरा कर निमार्ण कार्य का जायजा लिया था। पिछले 24 दिसम्बर को पीएम मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने वाजपेयी के इसमें योगदान के लिए इस सुरंग का नाम रोहतांग सुरंग के बजाय अटल सुरंग रखने को मंजूरी दी। सुरंग का 40 प्रतिशत कार्य पिछले दो सालों में पूरा किया गया है और इसके निमार्ण पर 3200 करोड़ रूपये की लागत आई है।
इस सुरंग के दोनों द्वारों पर बैरियर लगे हैं। आपात स्थिति में बातचीत के लिए हर 150 मीटर पर टेलीफोन और हर 60 मीटर पर अग्निशमन यंत्र लगे हैं। घटनाओं का स्वत पता लगाने के लिए हर ढाई सौ मीटर पर सीसीटीवी कैमरा और हर एक किलोमीटर पर वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली लगी है। हर 25 मीटर पर आपात निकास के संकेत है तथा पूरी सुरंग में ब्रोडकास्टिंग सिस्टम लगाया गया है। सुरंग में हर 60 मीटर की दूरी पर कैमरे भी लगाये गये हैं।