पांच महीने तक लोगों को संक्रमण से कथित रूप से मुक्त करने के लिए धड़ल्ले से इस्तेमाल की जा रही टनल्स पर आज से रोक लगा दी गई है. सोमवार को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ये मानव शरीर के लिए अच्छी नहीं हैं. सरकार ने आज से इनके इस्तेमाल पर रोक लगा दी है.विशेषज्ञों ने अपने अध्ययन में पाया कि इन डिसइंफेक्शन टनल्स में इस्तेमाल होने वाले केमिकल निर्जीव चीजों पर तो वायरस को निष्क्रिय कर देते हैं लेकिन सजीव शरीर पर इसका दुष्प्रभाव ज्यादा होता है.
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने हलफनामा दाखिल कर कहा है कि कोरोना से बचाव के लिए डिसइंफेक्शन टनल का इस्तेमाल सही नहीं है. इसमें होने वाला छिड़काव शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है.जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आरएस रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह के इजलास में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के साथ हलफनामा सौंपा.
बता दें कि गुरसिमरन सिंह नरूला नाम के छात्र ने जनहित याचिका के जरिए कोर्ट से ऐसे टनल्स के खिलाफ कार्रवाई करने की गुहार लगाई थी. सरकार ने कोर्ट को भरोसा दिया कि इन टनल्स का इस्तेमाल बंद करने के लिए मंगलवार को यानी आज से फरमान जारी कर दिया जाएगा.केन्द्र सरकार ने अपने हलफनामे में वैज्ञानिकों के अध्ययन का हवाला देते हुए कहा है कि सामान को डिसइनफेक्ट करने वाले रसायन का मानव शरीर पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. लिहाज़ा इससे इंसानों को नुकसान ही होता है. सुप्रीम कोर्ट ने 10 अगस्त को इस मामले पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा था. जवाब में केन्द्र सरकार ने बताया कि शोध रिपोर्ट मिलने के बाद इसे केंद्र सरकार खुद ही बंद कर देगी.