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देव दीपावली के दीये से दमकेंगे काशी के 84 घाट, आस्था के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों की होगी रंगारंग प्रस्तुति

काशी की विरासतों में से एक महत्वपूर्ण पहचान गंगा आरती इस वर्ष देव दीपावली में एक बार फिर इतिहास का सृजन करने जा रही है। गंगा के जिन नयनाभिराम आरती को देखने देश विदेश से सैलानी जुटते है, उसी मां गंगा आरती को पहली बार 5 बेटियों के अगुवाई में आस्था की ज्वाला दमकेगी है। ज्ञात हो सन 1997 में पहली बार दशाश्वमेध घाट पर गंगोत्री सेवा समिति के बैनर तले पंडित किशोरी रमन दुबे बाबू महाराज ने अकेले आरती की श्रीगणेश किया था। कालांतर में काशी के कई घाटों पर शनैः शनैः गंगा आरती की लोकप्रियता में इजाफा होता गया। गंगा आरती काशी की धरा का महत्वपूर्ण अनुष्ठान हो चुकी है।

 

19 नबम्बर 2021 आश्विन पूर्णिमा (शुक्रवार) को सायंकाल पांच बजे गंगोत्री सेवा समिति, दशाश्वमेध घाट द्वारा देवदीपावली पर भव्य महाआरती का आयोजन किया जाएगा। इस वर्ष महा आरती के बड़े आकर्षण में पांच कन्याओं द्वारा आरती किया जाना है। काशी में गंगा आरती की शुरुआत करने वाली गंगोत्री सेवा समिति एक बार फिर महिला सशक्तीकरण और सम्मान के तहत बेटियों द्वारा गंगा आरती कराई जाएगी। इसी दिन पिछले एक महीने से ( कार्तिक पूर्णिमा ) चली आ रही पुलिस और पीएसी के उन वीर जवानों की याद में जो अपने कर्तव्य परायण का निर्वहन करते हुए आकस्मिक निधन को प्राप्त हुये, उन्हीं शहीद पुलिस, पीएसी कर्मियों के वीर जवानों के आत्मिक शान्ति के निमित जल रहे आकाशदीप आयोजन का समापन भी किया जाएगा।

काशी में 84 गंगा घाटों पर कार्तिक पूर्णिमा की शाम को सूरज ढलते ही आसमां से टिमटिमाते तारों की तरह लाखों दीये झिलमिलाते नजर आते हैं। इस दृश्य को देखने के लिए बड़ी संख्या में आस्थावान घाटों पर आते हैं। हालांकि कम ही लोगों को मालूम होगा कि आज से लगभग साढ़े तीन दशक पहले गंगा किनारे ऐसा नजारा नहीं था। सिर्फ कार्तिक मास की पूर्णिमा को चंद दीपक ही जलाए जाते थे लेकिन इस आस्था को लाखों लोगों से जोड़ते हुए लोक महोत्सव के रूप में बदलने का बीड़ा अगर किसी ने उठाया तो वे थे, वाराणसी के प्राचीन मंगला गौरी मंदिर के महंत और देव दीपावली के संस्थापक पंडित नारायण गुरू।

1985 से शुरू हुआ प्रयास

1985 से शुरू किए गए अपने प्रयासों के बारे में नारायण गुरू ने बताया कि कार्तिक मास में पंचगंगा तीर्थ का अपना स्थान है। प्रातः स्नान और शाम को दीपक जलाया जाता है। इस परंपरा को पहले राजा-महाराजा ही किया करते थे लेकिन फिर यह लुप्त होती गई। जब उन्होंने सिर्फ एक ही पंचगंगा घाट के बगल में दुर्गा घाट पर चंद दीपकों को ही जलते देखा तो यह ख्याल आया कि अन्य घाटों पर क्यों नहीं दीपक जलाया जा सकता है? फिर 1985 में चाय, पान और अन्य दुकानों पर पत्र के जरिये दीपक और पंचगंगा घाट का भी महत्व बताया। कुल 15 कनस्तर तेल जुटा और 15 हजार दीपक एक घाट से बढ़कर पंचगंगा घाट के आसपास के घाटों पर जलाए जाने लगे। उस समय जनता भी गंगा घाटों पर उतर आयी। 1986 में केंद्रीय देव दीपावली का गठन किया गया, जिससे सभी बिरादरी के युवक भी जुड़ गये।

कार्तिक मास में देवता करते हैं स्नान

पंडित नारायण गुरू ने बताया कि खुले मैदान की 7 किलोमीटर की लंबाई पर एक साथ दीपक जला पाना ईश्वर की कृपा से ही संभव हो सका। अब तो वाराणसी प्रशासन और शासन की ओर से भी पिछले 3 वर्षों से दीपक, तेल और बाती भी मदद के तौर पर दी जाती है। देव दीपावली की शुरूआत में 5 से 8 हजार दीपक जलाए गए थे और अब 11 लाख दीपकों से कम नहीं जलते हैं। देव दीपावली को सफल बनाने के लिए लक्षार्चन यज्ञ भी किया गया।

गाथा के अनुसार त्रिपुरा नाम के राक्षस का भगवान शंकर ने वध किया फिर देवताओं ने स्वर्ग में देव दीपावली मनाई थी। वहीं स्थानीय आस्थावानों की भी देव दीपावली और पंचगंगा तीर्थ को लेकर अटूट आस्था है। आस्थावान रौशन गुजराती ने बताया कि पंचगंगा घाट पांच नदियों का संगम है। जिसकी वजह से खुद प्रयागराज तीर्थ भी कार्तिक मास में पंचगंगा तीर्थ पर स्नान करने आते हैं। इसीलिए कार्तिक मास में पंचगंगा घाट का काफी महत्व है। श्रद्धालु विकास यादव ने बताया कि वह पंचनद तीर्थ पर यह पर्व मनाते हैं। चूंकि पूरे कार्तिक मास में देवता यहां स्नान करते हैं और वापस में उनके जाने के समय में पूर्णिमा के दिन देव दीपावली का पर्व मनाया जाता है। ठीक उसी तरह देवता का स्वागत होता है जैसे घर पर कोई अतिथि आता है।

अनुराधा पौडवाल बिखेरेंगी आवाज का जादू

देव दीपावली के दिन काशी के दशाश्वमेध गंगा घाट पर हर बार भव्य गंगा की महाआरती और दीपदान का आयोजन होगा। अमर शहीद जवानों के लिए इंडिया गेट की रिप्लिका बनाकर अमर ज्योति जलाई जाती है। इसके बारे में और जानकारी देते हुए गंगा आरती कराने वाली संस्था गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्रा ने बताया कि इस बार 21 ब्राह्मणों द्वारा मां गंगा की भव्य आरती होगी। 51 देव कन्याएं भी रहेंगी। इंडिया गेट की अनुकृति भी बनाई जा रही है, जहां शहीदों के परिवारजनों को सम्मानित किया जाता है। शहीदों को सलामी भी दी जाती है। इस बार महाआरती की शुरूआत 51 देव कन्याओं के हाथों होगी और सांस्कृतिक कार्यक्रम में भक्ति संगीत गायिका अनुराधा पौडवाल अपनी आवाज का जादू बिखेरेंगी।

हर साल बढ़ता जा रहा स्वरूप

वाराणसी मंडल के कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बताया कि देव दीपावली का स्वरूप हर साल बढ़ता रहता है। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण लेजर शो चेत सिंह घाट पर होगा और उसके अलावा लेजरयुक्त इलेक्ट्रिकल आतिशबाजी अस्सी घाट के ऑपोजिट साइड वाले घाट पर की जाएगी। मुख्य आकर्षण पर हॉट एयर बैलून होंगे। पर्यटक एयर बैलून के जरिए शहर के नजारे को आंखों में कैद करेंगे।

प्रशासन की ओर से 12 लाख दीये

कमिश्नर ने बताया कि इस बार पिछली बार से अधिक करीब 12 लाख दिए प्रशासनिक सहयोग से जलाए जाएंगे। करीब 15 लाख से ज्यादा दिए से इस बार देव दीपावली पर गंगा के घाट जगमग होंगे। देव दीपावली में पारंपरिक गंगा महोत्सव का भी कार्यक्रम होता है जो 17, 18 और 19 नवंबर को होगा। विख्यात कलाकार अपनी अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। सुरक्षा के साथ साफ-सफाई और शहर में सात सज्जा के सारे विस्तृत प्रबंध कर लिए गए हैं।