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दिल्ली हिंसाः अमित शाह ने बुलाई हाईलेवल मीटिंग, कांग्रेस सांसद ने किया बहुत बड़ा दावा

26 जनवरी एक ऐसा दिन जब हर भारतीय गर्व से अपने तिरंगे को सलामी देता है उसी दिन कुछ उपद्रवियों ने माहौल बिगाड़ने की कोशिश की और लाल किले समेत दिल्ली में कई जगह पर हिंसा की घटना को अंजाम दिया. हालांकि, इस बीच लाल किले पर तैनात सुरक्षाबलों ने बहुत ही संयम के साथ काम लिया. अगर सुरक्षाबल भी दंगाईयों का मुकाबला उनकी तरह करते तो 26 जनवरी को क्या हो जाता इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती. लाल किले पर हुई हिंसा के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) एक्शन के मूड में हैं. अमित शाह ने बुधवार को उच्चस्तरीय बैठक बुलाई है. माना जा रहा है कि इस बैठक में केंद्रीय गृह सचिव और IB के निदेशक भी शामिल हो सकते हैं. वहीं अमित शाह पूरी घटना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से भी मिल सकते हैं. बता दें, मंगलवार को भी ऐसी ही बैठक हुई थी जिसमें दिल्ली में तनाव देखते हुए पैरा मिलिट्री फोर्स को करीब 15 अतिरिक्त कंपनी तैनात करने का फैसला लिया गया था.

सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने के निर्देश
बता दें, किसान संगठनों के शर्मनाक रवैये के बाद मंगलवार को ही अमित शाह ने हाई लेवल मीटिंग बुलाई थी और सभी हालातों का जायजा लिया था. साथ ही इस बैठक में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के स्पष्ट निर्देश दिए. साथ ही दिल्ली के कई इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनात करवाई गई. बताया जा रहा है कि, राजधानी की कानून व्यवस्था को दुरस्त रखने के लिए अर्धसैनिक बलों को लगाया जाएगा.

मालूम हो कि जिस वक्त दंगाइयों ने लाल किले पर हिंसा की घटना को अंजाम देते हुए जवानों को पीटा उस समय जवान सिर्फ इसलिए पिटते रहे क्योंकि दंगाईयों में से कुछ लोगों ने हाथों पर तिरंगा लिया हुआ था तो कुछ खुद को किसान कह कर वहां पहुंचे थे. ऐसे में सुरक्षाबलों ने बहुत ही सब्र के साथ काम लिया. हालांकि, इस हिंसा में कई जवान घायल हुए हैं और उन्होंने खुद को बचाने की भी पूरी कोशिश की.

आंदोलन हुआ था हाईजैक
लाल किले पर हुई हिंसा के बाद पूरे देश का माहौल बदल गया है. इस बीच कांग्रेस के लुधियाना से सांसद रवनीत सिंह बिट्टू (Ravneet Singh Bittu) ने दावा किया है कि 26 जनवरी से एक दिन पहले ही पूरे आंदोलन को हाईजैक कर लिया गया था और हिंसा को आंतकी संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) से जुड़े खालिस्तानियों ने अंजाम दिया है. रवनीत सिंह का कहना है कि देश को गहरा घाव देने के लिए ये एक बड़ी साजिश रची गई थी और जो झंटा लाल किले पर लगाया गया है वो निशान साहिब का ध्वज का नहीं है. क्योंकि साहिब ध्वज का रंग केसरी होता है पीला नहीं. जिन लोगों ने लाल किले पर कब्जा किया और बवाल मचाया वो खालिस्तान से जुड़े लोग थे. जिन्होंने 26 जनवरी को किसानों के आड़ में साजिश रची थी.