नक्सली हिंसा, दहशत और विध्वंस के चलते करीब 15 वर्षों से बंद बस्तर संभाग के 260 स्कूलों में एक बार फिर घंटी बजाने की तैयारी है। इनमें बीजापुर जिले के 158, दंतेवाड़ा का एक, नारायणपुर के चार और सुकमा जिले के 97 स्कूल शामिल हैं। इन स्कूलों के शुरू हो जाने से वनांचल के करीब 12 हजार बच्चों के उजले भविष्य की राह आसान हो जाएगी।
दरअसल, बस्तर में जब नक्सलवाद चरम पर था, तब नक्सलियों ने स्कूल भवनों को भी निशानाा बनाया था, ताकि नई पीढ़ी पढ़-लिख न पाए। इससे उसे बहकाकर संगठन में लाना आसान होगा। इसमें वे सफल भी हुए। लेकिन बम-बारूद की इस धरती की बयार अब बदली हुई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पिछले दिनों अपने भेंट-मुलाकात कार्यक्रम के दौरान बस्तर संभाग के विभिन्न् जिलों के प्रवास में बंद स्कूलों को खोलने की घोषणा की थी। स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से यह आदेश जारी भी हो चुका है। मुख्यमंत्री बघेल 16 जून को राजधानी से इन स्कूलों की वर्चुअल शुरुआत करेंगे। इस दौरान यहां शाला प्रवेशोत्सव भी मनाया जाएगा। विभागीय अधिकारी इसकी तैयारी में लगे हुए हैं। बता दें कि बस्तर संभाग के नक्सल इलाकों में वर्ष 2019 में भी 58 और 2020 में 300 स्कूल खोले गए थे।
ग्रामीणों में उत्साह
जिला प्रशासन ही नहीं, इसकी तैयारी में ग्रामीण भी जुटे हुए हैं। बांस-लकड़ी की मदद से वे अस्थायी व्यवस्था कर रहे हैं, ताकि स्कूल खुलने में कोई अड़चन न आए। बच्चों को किसी प्रकार की असुविधा न हो। बारिश को लेकर खास तैयारी की जा रही है। स्कूल खुलने को लेकर ग्रामीणों में काफी उत्साह है।
राशि स्वीकृत, पढ़ाएंगे शिक्षादूत
ध्वस्त स्कूलों के लिए नए सिरे से भवन बनाने के लिए सरकार ने राशि स्वीकृ त की है। भवन बनते तक अस्थायी व्यवस्था के रूप से टिन के शेड लगाए जा रहे हैं। ज्यादातर स्कूलों में शेडड तैयार हो गए हैं। जिन स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं, वहां विद्यादूतों की व्यवस्था की गई है। विद्यादूत गांव के ही 12वीं पास युवा होंगे।
छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डा. आलोक शुक्ला ने कहा, नक्सल प्रभावित इलाकों के बंद स्कूलों को फिर से बहाल किया जा रहा है। इसके लिए आवश्यक दिशानिर्देश जारी हो चुके हैं। मुख्यमंत्री इसकी औपचारिक शुरुआत करेंगे।