अन्नदाताओं की नुमाइंदगी करने वाले इन सियासी सूरमाओं को अब किसानों की फिक्र सताने लगी है। नहीं देखा जा रहा इनसे अब किसानों का दर्द.. नहीं देखी जा रही अब इनसे किसानों की बेरूखी.. नहीं देखा जा रहा अब इनसे किसानों का यूं सड़क पर उतरना.. नहीं देखा जा रहा अब इनसे किसानों का नुकसान.. लिहाजा, अब इन्होंने साधूवाद का लबादा ओढ़कर किसानों के हित में बीजेपी के दफ्तर को तोड़ना मुनासिब समझ लिया है। लिहाजा अब इन्होंने अर्मायदित भाषा का इस्तेमाल करना मुनासिब समझ लिया है। मुनासिब समझ लिया है…अब इन्होंने उस सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाना जिसे वैश्विक महामारी के खिलाफ अख्तियार किया गया है।
इसे किसानों की भलाई के विरोध में प्रदर्शन कहें या फिर उन नियमों का मखौल कहें, जिसे इस महामारी के दौर में लागू किया गया। आप करिए विरोध.. किसे एतराज..किसने रोका..लेकिन एक ऐसे दौर में जब महामारी अपने चरम पर है। लगातार बढ़ते संक्रमण के मामले अब अपने शबाब पर पहुंच रहे हों, तो सारे सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की धज्जियां उड़ाना कहां तक मुनासिब है। खैर, बिहार में कल शुक्रवार को कुछ ऐसा ही हुआ, जिसने सबको झकझोर कर रख दिया। किसानों के हित में राजद के नेता तेजप्रताप यादव, तेजस्वी यादव सहित जपा के अनेकों कार्यकर्ता सड़कों पर बैनर लेकर उतर गए। केंद्र सरकार और किसान बिल के विरोध में प्रदर्शन करने लगे। यहां तक तो बात हजम हुई। लेकिन जब इस आड़ में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की धज्जियां उड़ी तो यह किसी को रास न आई।
…न ही बिहार की जनता को और न ही वहां के पुलिस-प्रशासन को.. लिहाजा तेजप्रताप, तेजस्वी व पप्पू यादव सहित जपा के अनेकों कार्यकर्ताओं के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया। कुल 7 नामजद और 100 अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। किसी भी नियमों की धज्जियां उड़ाने में इन लोगों ने तनिक भी गुरेज न किया और तो और बीजेपी दफ्तर पर भी जपा कार्यकर्ता हमला कर गए, जिससे बिफरे भाजपा और जपा के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प जैसी नौबत आ गई। भाजपा का कहना था कि जपा के कार्यकर्ता गैर-कानूनी तरीके से ऑफिस के गेट पर चढ़ गए। इसके बाद भाजपा के कार्यकर्ता आपा खो बैठे और फिर दोनों के बीच झड़प हो गई।