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तिरूपति बाला जी मंदिर में भक्त ने लगाई कोरोना से मुक्ति की गुहार!

हे भगवान! कोरोना ठीक कर दे। एक भक्त ने बालाजी महाराज से कोरोना ठीक करने की गुहार लगाई थी। भक्त ने भगवान से गुहार लगाते हुए कहा कि जब कोरोना ठीक हो जाएगा तब चढ़ावा चढ़ाऊंगा। और भगवान ने अपने भक्त की मुराद सुन ली। उसको कोरोना से मुक्त कर दिया। जिसके बाद आंध्र प्रदेश में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर में भक्त ने लगभग 2 करोड़ रुपये के सोने के शंख और चक्र का दान किया।


चलिए आपको बताते हैं कि कौन है वो भक्त। दरअसल ये भक्त तिरुमाला मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर की करीब 50 साल से पूजा कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले साल वह कोरोना से संक्रमित हो गए थे। तब उन्होंने तिरुपति बालाजी मंदिर में अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिए मन्नत मांगी थी। साथ ही सोने के शंख और चक्र दान करने का संकल्प लिया था। इसीलिए अपनी मन्नत पूरी होने पर इस दान के जरिए मैंने अपना संकल्प पूरा किया है।

इसी पर मंदिर के एक अधिकारी ने बताया कि बालाजी की पूजा करने के बाद श्रद्धालु थंगदुरई ने मंदिर के अधिकारियों को साढ़े तीन किलोग्राम का सोने का शंकु और चक्रम सौंपा। उन्होंने बताया कि प्राचीन मंदिर के मुख्य देवता का इन आभूषणों से विभूषित किया जाएगा।बता दें कि तिरुपति मंदिर में अक्सर सोने का चढ़ावा चढ़ाया जाता है. इसीलिए दान के मामले में ये मंदिर भारत में पहले स्थान पर है

चलिए अब आपको तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़े रहस्यों के बारे में बताते हैं-
कहा जाता है कि मंदिर में भगवान वेंकटेश्‍वर स्‍वामी की मूर्ति पर लगे बाल असली हैं। ये कभी उलझते नहीं हैं और हमेशा मुलायम रहते हैं। मान्‍यता है कि ऐसा इसलिए है कि यहां भगवान खुद विराजते हैं।

तो वहीं यहां जाने वाले भक्तों का ये भी कहना है कि भगवान वेंकटेश की मूर्ति पर कान लगाकर सुनने पर समुद्र की लहरों की ध्‍वनि सुनाई देती है। यही कारण है कि मंदिर में मूर्ति हमेशा नम रहती है।

इसके अलावा इस चमत्कारी मंदिर में एक दीप है जो हमेशा जलता रहता है। जबकि उस दीप में कभी भी तेल और घी नहीं डाला जाता है। ये पूरी तरह से रहस्य है कि इस दीप को किसने जलाया था और कब ?

चमत्कारों की बात करें तो कहते हैं कि भगवान वेंकटेश के हृदय में मां लक्ष्मी विराजमान रहती हैं। लेकिन माता की मौजूदगी का पता तब चलता है जब हर गुरुवार को बालाजी का पूरा श्रृंगार उतारकर उन्हें स्नान करावाकर चंदन का लेप लगाया जाता है। जब चंदन लेप हटाया जाता है तो हृदय पर लगे चंदन में देवी लक्ष्मी की छवि उभर आती है। माता लक्ष्मी का रूप समाहित होने की वजह से ऊपर से साड़ी और नीचे धोती पहनाई जाती है।