कटहल जिसे शाकाहारियों का चिकन कहा जाता है, यह खाने में जितना टेस्टी होता है, उतना ही गुणकारी है। कुछ लोग इस सब्जी मानते हैं तो कुछ लोग इसे फल का दर्जा देते हैं। यह कच्चा और पका दोनों तरीके के उपयोग में लाया जाता है। इसमें विटामिन A और विटामिन C पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। यह थाइमिन, पोटैशियम, कैल्शियम, राइबोफ्लेविन, आयरन, नियासिन और जिंक से भरपूर है।
कटहल का ग्लाइसेमिक इंडेक्स काफी कम होने की वजह से यह खून में ग्लूकोज के स्तर को प्रभावित करता है। कम कार्बोहाइड्रेड होने की वजह से यह शुगर के मरीजों के लिए सुरक्षित होता है। इसे कच्चा या पक्का खाने से शुगर बढ़ने का खतरा नहीं होता है। हाई फाइबर कटहल खाने से डायजेशन धीमा होता है। जिससे शरीर का शुगर लेवल अचानक से नहीं बढ़ता नहीं है। इससे मरीज के शुगर लेवल मेंटेन करने में मदद मिलती है।
जैकफ्रूट याने कटहल हाई प्रोटीन होता है, यह भी एक कारण है कि ब्लड में शुगर लेवल अचानक बढ़ने से रोकता है। कटहल की पत्तियों का रस भी ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मददगार होता है। पके हुए कटहल की जगह कच्चा कटहल ज्यादा फायदेमंद होता है।
अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन की एक रिसर्च के अनुसार कटहल का आटे खाने से भी लाभ होता है। रिपोर्ट की मानें तो डायबिटीज टाइप 2 के 40 मरीजों को तीन महीने कटहल का आटा खिलाया गया। इसमें पाया गया कि लोगों का शुगर लेवल काफी कंट्रोल में था। विशेषज्ञों का मानना है कि इसमें पाए जाने वाले तत्वों के कारण मरीजों के शरीर में HbA1c ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन, FBG-फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज और PPG-पोस्टप्रेंडियल ग्लूकोज का स्तर कम होता है।
कटहल का आटा बनाना बेहद आसान है। कटहल से बीज अलग कर सुखा लें। इसके छोटे टुकड़ें करे ताकि यह अच्छे से सूख जाए। फिर इसे अच्छी तरह पीस लें। अब इसकी तीस ग्राम मात्रा अपनी रोटी वाले आटे में उपयोग करें। इससे आप पाएंगे कि शुगर लेवल में काफी सुधार आता है।
वहीं कटहल में मौजूद पोटेशियम ब्लड प्रेशर को कम करने में मददगार है। इससे दिल की बीमारियां होने का खतरा नहीं होता। यह अस्थमा के रोगियों के लिए भी फायदेमंद है। इसमें पाए जाने वाले मिनरल्स खनिज और कॉपर थॉयराइड की बीमारी में कारगर साबित होते हैं।वहीं इसमें मिलने वाला मैग्नीशियम बोन्स मजबूत करता है, इससे ऑस्टियोपोरोसिस का इलाज किया जा सकता है।