दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर लगा मुश्किलों का ग्रहण थमने का नाम नहीं ले रहा। वहीं ईडी ने अब कोर्ट के सामने हलफनामा पेश कर बेल ना देने के पक्ष में तर्क दिए हैं। ईडी का कहना है कि अंतरिम बेल से गलत परंपरा शुरू हो जाएगी और चुनाव प्रचार मौलिक अधिकार नहीं है कि किसी को इस बिना पर बेल दे दी जाए।
ED ने किया विरोध
ईडी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत का विरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे में जांच एजेंसी ने कहा कि चुनाव प्रचार मौलिक अधिकार नहीं है। दिल्ली शराब नीति मामले में अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने से एक दिन पहले आज ईडी की उप निदेशक भानु प्रिया ने हलफनामा दायर किया है। इस हलफनामे में कहा गया है, “चुनाव के लिए प्रचार करने का अधिकार मौलिक, संवैधानिक या कानूनी अधिकार नहीं है। ईडी की जानकारी के अनुसार, किसी भी राजनीतिक नेता को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत नहीं दी गई है, भले ही वह चुनाव लड़ने वाला उम्मीदवार न हो।”
‘गलत परंपरा शुरू हो जाएगी’
ED ने यह भी दलील दी कि अगर किसी राजनेता को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी जाती है तो उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता और न्यायिक हिरासत में नहीं रखा जा सकता। ईडी ने कहा, “पिछले तीन सालों में लगभग 123 चुनाव हुए हैं और अगर चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी जाती है तो किसी भी राजनेता को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है और न्यायिक हिरासत में नहीं रखा जा सकता है क्योंकि चुनाव पूरे साल होते हैं।” ईडी ने यह भी कहा कि अरविंद केजरीवाल को अगर चुनाव प्रचार के लिए जमानत दी जाती है तो यह असमानता के दायरे में आएगा।